नई दिल्ली (शाश्वत तिवारी)। विदेश मंत्री डॉ0 एस0 जयशंकर ने कहा कि 21वीं सदी में शांति स्थापना को प्रौद्योगिकी और नवाचार के मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र में होना चाहिए जो जटिल वातावरण में अपने जनादेश को लागू करने में संयुक्त राष्ट्र में शांति अभियानों को सुविधा प्रदान कर सके। उन्होंने यह बात बुधवार को न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के मुख्यालय में ‘प्रौद्योगिकी एवं शांति स्थापना’ विषय पर आयोजित खुली बहस की अध्यक्षता के दौरान कही।
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के लिए भारत ने दिए दो लाख कोरोना रोधी टीके
विदेश मंत्री जयशंकर ने शांति अभियानों के लिए तैयार किए गए मोबाइल टेक प्लेटफॉर्म ‘यूनाइट अवेयर’ की लॉन्चिंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र को भारत के समर्थन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का शांति स्थापना मिशन का कार्य विभिन्न चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी जारी है जिसमें आतंकवादी, सशस्त्र समूहों और राज्य-विरोधी तत्वों से मुकाबला शामिल है। साथ ही उन्होंने शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्षमताओं को मजबूती देने की आवश्यकता पर बल दिया।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सिर्फ सुरक्षा की बात नहीं करता है बल्कि उस बात पर चलने में विश्वास रखता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए भारत का दृष्टिकोण शांति स्थापना में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के झंडे के नीचे सेवा करते हुए, 174 वीर भारतीय सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, जो सैन्य योगदान देने वाले देशों में सबसे बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा कि आज नौ मिशनों में 5 हजार से अधिक भारतीय जवान तैनात हैं। विदेश मंत्री ने ‘रक्षकों की सुरक्षा’ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए कहा कि भारत सरकार ने इस साल मार्च में दुनियाभर में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के कर्मचारियों के लिए दो लाख कोविड-19 रोधी टीके मुहैया कराए हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने समकालीन खतरों से निपटने को लेकर संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को सुरक्षित करने के लिए एक संभावित ढांचा तैयार करने के लिए चार-सूत्रीय रूपरेखा का प्रस्ताव भी दिया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहली बार शांति सैनिकों के खिलाफ होने वाले अपराधों की जवाबदेही तय करने के साथ-साथ शांति स्थापना में प्रौद्योगिकी भूमिका पर चर्चा के प्रस्ताव को अपनाया गया है।
बता दें कि यह भारत की अध्यक्षता में दूसरा हस्ताक्षर कार्यक्रम था। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने की 9 तारीख को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय खुली बहस के पहले हस्ताक्षर कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी।
अपने संबोधन के अलावा विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक स्मारक में आयोजित एक समारोह में भाग लिया। उन्होंने शांति स्थापना के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान एस्टोनिया की विदेश मंत्री ईवा मारिया लीमेट्स भी मौजूद थीं।