इस्लामाबाद। अफगानिस्तान में 20 साल बाद तालिबान की वापसी को लेकर लोगों में पाकिस्तान सरकार, प्रधानमंत्री इमरान खान और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के खिलाफ गुस्सा है। अफगानिस्तान मामलों की विशेषज्ञ संस्था के मुताबिक इस युद्धग्रस्त देश में तालिबान की वापसी का जिम्मेदार पाकिस्तान को माना है जिसने तालिबान को शरण दी जब अफगान लड़ाके इन आतंकियों से लड़ रहे थे।
सेंटर फार पॉलिटिकल एंड फॉरेन अफेयर्स के अध्यक्ष फैबियन बुसरत ने टाइम्स ऑफ इजरायल में लिखे अपने लेख में बताया कि वर्ष 2001 में अमेरिकी और मित्र सेनाओं से युद्ध के दौरान तालिबानों की उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में पूरी मदद की गई है।
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के खिलाफ लोग कड़ी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि तालिबान के अपनी जीत की घोषणा करते ही ट्विटर पर हैशटैग सैंक्शन पाकिस्तान ट्रेंड करने लग गया। इस हैशटैग का इस्तेमाल कुल 7,30,000 बार किया गया और इसमें से 37 फीसद हैशटैग अफगानिस्तान से ही किए गए थे।
बुसरत ने आगे बताया कि अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भी कहा था कि पाकिस्तान तालिबान का साथ देने के लिए अफगान आबादी को दबाकर रख रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी जमीन पर सही कारण और मकसद के साथ लोग पाकिस्तान का विरोध कर रहे हैं।