नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान के सवाल पर हुई बैठक में खुद को नहीं बुलाये जाने पर पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी भड़ास निकाली है। इस मसले पर उसने भारत पर पक्षपात के आरोप लगाए हैं। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इस समय भारत कर रहा है।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने शनिवार को इस पर अपनी नाखुशी जताई थी, तो अब संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी दूत मुनीर अकरम का बयान आया है। अकरम ने कहा कि बैठक में पाकिस्तान को ना बुलाया जाना परिषद के नियमों का उल्लंघन है।
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की आपत्तियों का संतोषजनक जवाब देने की जगह भारत पर ही भड़ास निकाली है। उसने कहा है कि जाहिर तौर पर हम भारत की अध्यक्षता में पाकिस्तान के साथ तटस्थता की उम्मीद नहीं रख रहे थे।
ज्ञातव्य है कि 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले अफगानिस्तान के प्रतिनिधि ने कहा था कि पाकिस्तान तालिबान के लिए सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध करवा रहा है। अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इसाकजई ने सुरक्षा परिषद से कहा था कि तालिबान को पाकिस्तान से सुरक्षित पनाहगाह, जंगी मशीनों की आपूर्ति और रसद लाइन मिल रही है।
सुरक्षा परिषद की शुक्रवार की बैठक के बाद भी पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने इस पर अपनी आपत्ति की थी। विदेश कार्यालय का कहना था कि वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने प्रभावी अभियान चलाया था, जिसके बाद पाकिस्तान में कोई भी आतंकवादी ठिकाना नहीं बचा है। साथ ही विदेश कार्यालय ने जोड़ा था कि दोनों देशों की सीमा पर 97 प्रतिशत तक तारबंदी कर दी गई है। इससे सीमा के आर-पार अवैध आवागमन रुक गया है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी दूत मुनीर अकरम ने अपने ताजा बयान में कहा है कि हमने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष से अनुरोध किया था कि पाकिस्तान को परिषद के सत्र को संबोधित करने का मौका दिया जाय। इससे अफगान शांति प्रक्रिया पर हम अपना दृष्टिकोण रख सकेंगे। हमारा अनुरोध स्वीकार करने के बजाय इस मंच का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए किया गया।
स्पष्ट है कि पाकिस्तान लंबे समय से अपने ऊपर अफगानिस्तान में अशांति पैदा करने के तथ्य पर संतोषजनक जवाब की जगह भारत और अफगानिस्तान पर एक बार फिर अनर्गल आरोप लगा रहा है।