ट्रेन 12369 कुंभ एक्सप्रेस की एसएलआर बोगी में लीज पर पार्सल लादने की क्षमता चार टन थी। ट्रेन की जांच लखनऊ में की गई तो 1154 किलोग्राम अधिक भार मिला। इस पर 64 हजार रुपये जुर्माना लगा। इसी तरह क्षमता से अधिक माल ढुलाई के चलते पिछले साल कानपुर के पास लखनऊ आ रही मालगाड़ी बेपटरी हो गई थी। ऐसे में रेलवे बोर्ड ने एक बार फिर सभी जोनल मुख्यालयों को मालगाडिय़ों की ओवरलोडिंग को लेकर चेताया है।
दरअसल, पटरियों की आयु उनकी क्षमता के अनुसार होती है। यह पटरियों के भार के अनुसार 300 ग्रास मिलियन टन से 600 ग्राम मिलियन टन भार को ग्रहण कर सकती है। लखनऊ-कानपुर रेलखंड पर पटरियों का इस्तेमाल 150 से 160 प्रतिशत तक हो रहा है। मतलब जिस पटरी पर प्रतिदिन 100 ट्रेनें गुजरनी चाहिए, उस पर 150 से 160 ट्रेनें गुजर रही हैं। यही हाल झांसी-आगरा-नई दिल्ली और नई दिल्ली-कानपुर-इलाहाबाद-पटना रूट का भी है।
ट्रेनों की एसएलआर बोगियां लीज पर लेने वाले धारक, पार्सल को ठूंस ठूंसकर भरते हैं, जो कि प्लग प्वाइंट और बिजली के उपकरणों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में शॉर्ट सर्किट की संभावना बनी रहती है।
मालगाडिय़ों में ओवरलोडिंग पकडऩे के लिए रेलवे ने वेइंग मशीनें लगाना शुरू कर दिया है। यह मशीन पटरी के नीचे लगती है जिसके ऊपर से गुजरने वाले वैगन का भार कितना है यह पता कर उसका प्रिंट दे देती है।