पाकिस्तान में 4 सितंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है. इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद बड़े सुधारों की उम्मीद लगाई दुनिया की निगाहें अब वहां के राष्ट्रपति चुनावों पर हैं. मुकाबला त्रिकोणीय है लेकिन विपक्ष में फूट के चलते इमरान की पार्टी पीटीआई के उम्मीदवार डॉ. आरिफ अलवी का पलड़ा सबसे भारी दिख रहा है.
जानिए कौन हैं डॉ. आरिफ अलवी
सत्ता पर सैन्य दबदबे वाले देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पद अभी-अभी एक क्रिकेटर के हाथ लगा है. उसके तुरंत बाद लोगों की रुचि इस बात में भी है कि क्या राष्ट्रपति का पद एक डेंटिस्ट के हाथों में जाएगा. दरअसल इमरान की पार्टी के उम्मीदवार डॉ. आरिफ अलवी पेशे से एक डेंटिस्ट हैं.
उनका जन्म 29 जुलाई 1949 को हुआ था. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. 2001 में वे पार्टी के उपाध्यक्ष बनाए गए. डॉ. अलवी 2013 के संसदीय चुनाव में सिंध प्रांत से जीतने वाले पार्टी के एकलौते सदस्य थे.
जीत के प्रति आशवस्त इमरान की पार्टी
पाकिस्तान के वर्तमान राष्ट्रपति ममनून हुसैन का कार्यकाल नौ सितंबर को खत्म हो रहा है. डॉ. अलवी के अलावा दो और उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इस चुनाव में बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने एतजाज अहसान को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) और मुत्तहिदा मजलिस. ए. अमाल, अवामी नेशनल पार्टी, पख्तूनवा मिल्ली अवामी पार्टी और नेशनल पार्टी ने जमीयत उलमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान को प्रत्याशी बनाया है. त्रिकोणीय मुकाबला होने पर डॉ. अल्वी के राष्ट्रपति बनने का रास्ता आसान लग रहा है. यह एक तरह से उन्हें वाकओवर मिलने जैसा है.
क्यों है इस चुनाव पर दुनिया की नजर?
पिछले महीने ही इमरान खान ने प्रधानमंत्री का चुनाव जीतकर देश की कमान संभाली है. पाकिस्तान में बड़े बदलावों का दावा कर सत्ता संभालने वाले इमरान के लिए अपनी नीतियों को लागू करवाने के लिए राष्ट्रपति पद के नतीजे काफी अहम होंगे. अपनी पार्टी की राष्ट्रपति भवन में मौजूदगी से इमरान की स्थिति पाकिस्तान के सिस्टम में मजबूत होगी. इमरान को सेना का समर्थन वैसे भी हासिल है. अगर विपक्षी उम्मीदवार राष्ट्रपति चुनाव में सफल रहते हैं तो फैसलों की आलोचना के तौर पर ही राष्ट्रपति इमरान सरकार की मुश्किल वक्त-वक्त पर बढ़ा सकते हैं.
कैसे चुना जाता है पाकिस्तान में राष्ट्रपति?
संसद के सदस्य एक वोट देते हैं. जबकि प्रांतीय असेंबलियों के सदस्यों के मत की गणना एक जटिल प्रक्रिया के जरिए की जाती है. सभी चारों प्रांतीय असेंबलियों को उनके आकार और जनसंख्या को दरकिनार कर एकसमान वोट दिए गए हैं. देश की सबसे छोटी असेंबली बलूचिस्तान के सभी 65 सदस्यों के पास एक-एक वोट देने का अधिकार है. वहीं सबसे अधिक सदस्यों वाली पंजाब असेंबली के सदस्य के वोट को एक वोट का छठवां हिस्सा गिना जाता है.
कब आएंगे राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे?
पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद के लिए मतदान इस्लामाबाद में संसद भवन और लाहौर, कराची, पेशावर और क्वेटा में प्रांतीय असेंबली की इमारतों में 4 सितंबर को 10 बजे से शाम 4 बजे तक होगा. और उसी दिन पाकिस्तान के अगले राष्ट्रपति की घोषणा हो जाएगी.
क्या अधिकार होते हैं पाकिस्तानी राष्ट्रपति के पास?
पाकिस्तान में 1973 में लागू संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति के पास बहुत अधिक शक्तियां तो नहीं थीं लेकिन जनरल जिया उल हक और परवेज मुशर्रफ जैसे सैन्य शासकों ने नेताओं पर नियंत्रण के लिए संशोधन कर बहुत से अधिकार अपने पास रखे. पाकिस्तान का राष्ट्रपति, पाकिस्तानी सेना का सैन्याध्यक्ष भी होता है. उनके पास सेना से जुड़े तमाम अधिकार होते हैं, जैसे सेना के प्रमुखों की नियुक्ति, नेशनल और प्रांतीय असेंबलियों को भंग करने का अधिकार. हालांकि, अगर राष्ट्रपति सेना के किसी महत्वपूर्ण पद पर कुछ बदलाव करना चाहते हैं तो उन्हें प्रधानमंत्री से पहले विचार-विमर्श करना होगा.