भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(BCCI) ने पिछले कुछ महीने पहले टीम इंडिया के मुख्य कोच का चुनाव करने के लिए क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी (CAC) बनाई थी। क्रिकेट सलाहाकर समिति में भारतीय टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव, अंशुमन गायकवाड़ और महिला खिलाड़ी शांता रंगास्वामी का नाम शामिल था। इस कमेटी का अध्यक्ष कपिल देव को नियुक्त किया गया था, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री को एक और कार्यकाल दिया।
इसके बाद इन तीनों दिग्गजों पर हितों के टकराव (conflict of interest) का आरोप लगा। ये मामला बीसीसीआइ के लोकपाल जस्टिस डीके जैन के पास गया, जिसमें पूर्व भारतीय खिलाड़ी अंशुमन गायकवाड़ और महिला खिलाड़ी शांता रंगास्वामी को हितों के टकराव के आरोपों से मुक्त कर दिया है। वहीं, वर्ल्ड कप 1983 के कप्तान कपिल देव पर फैसला सुरक्षित रखा गया है क्योंक उनके खिलाफ कई लोगों ने शिकायत दर्ज कराई थी।
हालांकि, बीसीसीआइ लोकपाल ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि उनके केस की सुनवाई खत्म हो गई है। इस बारे में जस्टिस डीके जैन ने कहा है, “शांता रंगास्वामी और अंशुमन गायकवाड़ को हितों के टकराव मामले में आरोपों से बरी कर दिया है। वहीं, कपिल देव के लिए शिकायतकर्ता कुछ और आवेदन देना चाहता था, इसलिए अभी के लिए आदेश सुरक्षित रखा गया है, लेकिन इस मामले की सुनवाई समाप्त हो गई है।”
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसा लगातार दूसरी बार है जब क्रिकेट सलाहकार समिति पर हितों के टकराव के आरोप लगे हैं। इससे पहले सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण की सदस्य वाली एड-हॉक कमेटी (एक उद्देश्य के लिए बनाई जाने वाले समिति) पर पर भी हितों के टकराव का मामला दर्ज हुआ था, जिसके बाद तीनों दिग्गजों ने इस्तीफा दे दिया था।