लॉस एंजेल्स : अमेरिका में अग्रणी विधि वेत्ता और पद्म भूषण प्रो.वेद प्रकाश नंदा और स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान (एस-व्यासा, बेंगलुरु) के उपकुलपति एवं योग थेरेपिस्ट डा.एचआर नागेन्द्र सहित अनेक वक्ताओं ने ज़ोर दिया है कि विश्व में धर्म के ह्रास और अनाचार की घटनाओं में वृद्धि के संदर्भ में हिंदू यूनिवर्सिटी आफ अमेरिका की स्थापना समय की मांग है। शनिवार को लॉस एंजेल्स से 30 मील दूर नोर्वाक में उन्होंने विश्वास जताया कि गीता, भारतीय वेद और उपनिषदों के ज्ञान के प्रचार प्रसार से भारत एक बार फिर विषय गुरु का दर्जा हासिल करने में सफल होगा।
इस सम्मेलन में अमेरिका के विभिन्न विश्वविध्यालयों में डाक्टर मनोहर शिंदे, गुर्दा रोग विशेषज्ञ ऊषाकांत ठाक्कर, सैन डिएगो में प्रोफ़ेसर डाक्टर विपिन कुमार चतुर्वेदी तथा अग्रणी रिसर्च एवं शोध शास्त्री डाक्टर विमल पटेल ने इस यूनिवर्सिटी के लिए ख़ुद दिल खोल कर चंदा दिया। इनकी अपील पर सभागार में बैठे लोगों ने देखते देखते सवा चार लाख डालर (करीब तीन करोड़ रुपये) एकत्र भी कर लिये। इससे पूर्व डाक्टर ऊषाकांत ठाक्कर ने यूनिवर्सिटी के लिए आने वाले वर्षों में 50 लाख डालर का संकल्प पत्र दिया है। वाशिंगटन डीसी से नरसिंह रेड्डी अरकुला ने एक लाख डालर देने की घोषणा की।
इस अवसर पर सांसद डाक्टर सुधांशु त्रिवेदी और कश्मीर मामलों के जानकार सुशील पंडित ने अपने वीडियो संदेशों में हिंदू यूनिवर्सिटी की व्यावहारिकता पर ज़ोर दिया। एक रिपोर्ट में जर्मनी में दो दशक से विभिन्न धर्मों पर शोध कर रहे डाक्टर जायदीप बागची ने वैदिक शिक्षा के लिए हिंदू यूनिवर्सिटी की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा है कि जर्मनी में मैक्समूलर और इंग्लैंड में शेक्सपियर को पढ़ाया जा सकता है तो अपने देश के बारे में अपने लोगों को पढ़ने पढ़ाने के लिए कहा जाए तो इसमें क्या ग़लत है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने अपनी दो पुस्तकों में हिंदू धर्म के बारे में भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की है।