कार्बन डाइऑक्साइड को तोड़कर उसे उपयोगी रसायनों तेजी से बदलने वाला नया उत्प्रेरक तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे कार्बन डाइऑक्साइड को ईंधन में भी बदलना तेजी से संभव हो सकेगा। वर्तमान में यह प्रक्रिया काफी जटिल और समय लेने वाली होती है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट के शोधकर्ताओं के अनुसार वातावरण में अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी के जलवायु को बदल रही है। कई रसायनज्ञ इस अतिरिक्त गैस को अन्य उपयोगी उत्पादों में बदलने के तरीकों में काम कर रहे हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि कार्बन डाइऑक्साइड की जटिलता इस प्रक्रिया को कठिन बनाती है। किसी भी चीज से प्रतिक्रिया करने के लिए इस गैस का एक अणु प्राप्त करना कठिन काम होता है। वर्तमान में कार्बन को तोड़ने के लिए जो तकनीक है वह विद्युतीय रूप से काम करती है, इसमें प्लेटिनम से बनेउत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है, जो बहुत दुर्लभ और मंहगी धातु है।
जर्नल ‘पीएनएएस’ में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि वैज्ञानिकों ने नई तकनीक के तहत निकेल और लोहे से बने छिद्रदार उत्प्रेरक बनाया और उससे एक इलेक्ट्रोकेमिकल सेल बनाई। ये धातुएं सस्ती और प्रचुर मात्र में मौजूद हैं। जब कार्बन डाइऑक्साइड इस इलेक्ट्रोकेमिकल सेल में प्रवेश करती है और वोल्टेज लगाया जाता है तो उत्प्रेरक इससे एक ऑक्सीजन को तोड़ देता है, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड का निर्माण होता है।
इसमें एक कार्बन और एक ऑक्सीजन का अणु होता है। कार्बन मोनोऑक्साइड बहुत ही प्रतिक्रियाशील होती है और कई तरह के रसायन और ईंधन बनाने के काम आती है। स्टैनफोर्ड और कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि निकेल-लोहा से बना उत्प्रेरक सस्ता होने के साथ ही काम भी बेहतर तरीके से करता है। उन्होंने बताया कि इस उत्प्रेरक से बना इलेक्ट्रोकेमिकल सेल 100 फीसद परिणाम देता है।