नई दिल्ली : क्रिकेट को जुनून की हद तक चाहने वाले दोनों देशों के करोड़ों क्रिकेट प्रशंसकों को जिस लम्हे का इंतज़ार है, उसमें बस कुछ घंटे बचे हैं। रविवार को मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफोर्ड मैदान में भारत-पाकिस्तान की टीमों के बीच कड़ी टक्कर की पटकथा तैयार है। दोनों ही टीमों के खिलाड़ी मैच में जान झोंक देंगे, इसमें शायद ही किसी को शक हो। विश्वकप का यह मुक़ाबला ऐसे मौके पर हो रहा है जब भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्ते बेहद कड़वाहट भरे दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में रविवार को जब दोनों देशों की टीमें आमने-सामने होंगी तो मैदान पर खेल रहे खिलाड़ियों के साथ-साथ दोनों देशों के करोड़ों क्रिकेट प्रशंसकों में भी रोमांच और जोश चरम पर होगा। बशर्ते कि बारिश मैच का मजा न किरकिरा कर दे। विश्वकप में भारत-पाक मुकाबलों का इतिहास भी कई दिलचस्प और तनाव भरे इम्तिहान का गवाह रहा है। यह दीगर बात है कि विश्वकप में भारत कभी अपने इस कट्टर प्रतिद्वंद्वी से हारा नहीं है। विश्वकप में दोनों टीमों के बीच अभीतक कुल छह मुकाबले हुए हैं, जिनमें कड़ी टक्कर के बीच भारत ने पाकिस्तान को परास्त किया है। हालांकि क्रिकेट विश्वकप की शुरुआत 1975 में हो गई लेकिन इसमें भारत-पाक के बीच मैच के लिए तक़रीबन 17 वर्षों का लंबा इंतज़ार करना पड़ा।
1992 विश्वकप में पहली बार भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने आई। यह विश्वकप कई चीजों के लिए याद किया जाता है। पहला तो यह कि यह वही विश्वकप था, जिसे इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तान की टीम ने जीता था लेकिन उससे पहले सिडनी में भारत-पाकिस्तान का मुकाबला हुआ, जिसमें उस वक़्त युवा सनसनी बनकर उभरे सचिन ने नाबाद 54 रनों की पारी खेली। भारत ने यह मुकाबला जीता और सचिन तेंदुलकर मैन ऑफ द मैच बने।
1996 विश्वकप में जब दूसरी बार भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने आईं तो यह भी जबर्दस्त कांटे के मैचों में गिना जाता है। विश्वकप का क्वार्टर फाइनल मुकाबला बेंगलुरू में खेला जा रहा था। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 287 रन बनाए और पाकिस्तान 248 रनों पर सिमटकर मैच हार गया। 93 रन बनाने वाले नवजोत सिद्धू मैन ऑफ द मैच चुने गए। कांटे की टक्कर में एक वक्त पाकिस्तान यह मैच जीतता दिख रहा था। पाकिस्तानी बल्लेबाज आमिर सोहेल भारतीय गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद की गेंदों पर जोरदार प्रहार कर रहे थे। वेंकटेश की एक गेंद को उन्होंने मिड ऑन पर चौका मारते हुए उन्होंने बल्ला उठाकर वेंकटेश को दिखाया। उत्तेजना चरम पर थी और सोहेल की हरकत ने वेंकटेश को बौखला दिया। अगली ही गेंद पर वेंकटेश ने सोहेल का विकेट चटकाकर उसे पवेलियन की तरफ जाने का इशारा किया। यही मैच का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ।