इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में प्लेऑफ के केलक्युलेशन्स रोचक होते जा रहे हैं. पिछले काफी दिनों से टॉप रही चेन्नई की टीम ने अपनी बादशाहत खो दी है और उसकी जगह दिल्ली ने अपनी सल्तनत बना ली है. दिल्ली ने यह कमाल सोमवार को राजस्थान के खिलाफ उसी के घर में जीत हासिल कर किया. इस जीत से दिल्ली के भी चेन्नई की तरह 14 अंक हो गए हैं, लेकिन नेट रन रेट के कारण दिल्ली टॉप पर रहने में कामयाब रही है. अब प्लेऑफ में जाने का गणित भी बदल गया है. ऐसे में विराट कोहली और स्टीव स्मिथ को नए सिरे रणनीति बनानी होगी.
चेन्नई का पीछे जाना तय ही लग रहा था
दिल्ली की टीम इस मैच से पहले 12 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर थी, लेकिन यह मैच जीतते ही वह पहले स्थान पर आ गई. जिस तरह से पिछले मैचों में चेन्नई की हार हुई है उससे लग ही रहा था कि चेन्नई की टीम जल्द ही टॉप स्थान खो देगी और हुआ भी यही. इस बदलाव से प्लेऑफ में पहुंचने की बाकी टीमों की संभावनाओं पर भी फर्क पड़ा है.
क्या वाकई बेंगलुरू की बढ़ीं मुश्किलें
दिल्ली की जीत ने टॉप चार टीमों के बीच का संघर्ष बढ़ा दिया है जिससे बेंगलुरू जैसी टीम तक का गणित जटिल हो जाएगा. बेंगलुरू के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं कि नहीं यह कहना जल्दबाजी भी हो सकती है, लेकिन टीम को अब नए सिरे से गणना करनी ही होगी. बेंगलुरू के लिए सबसे अच्छा यही होगा कि टॉप तीन टीमें सारे मैच जीतती रहें, लेकिन उन मैचों को छोड़ कर जो बेंगलुरू के खिलाफ होने हैं. लेकिन बेंगलुरू के सामने सबसे बड़़ी समस्या यही है कि प्वाइंट टेबल में टॉप तीन टीमें कौन सी होंगी यह तय नहीं है.
तो इससे क्या परेशानी होगी विराट कोहली को
आलम यह है कि चौथे स्थान के लिए विराट का मुकाबला चेन्नई तक से हो सकता है. अगर चेन्नई की टीम अपने सारे मैच हार जाती है और उसके बाद बेंगलुरू की टीम अपने सारे मैच जीत जाती है तो दोनों के 14 अंक रह जाएंगे और फैसला नेट रनरेट से होगा. फिलहाल चेन्नई का नेट रन रेट +0.087 है जबकि बेंगलुरू का नेट रनरेट -0.836 है. इन हालातों में बेंगलुरू को जीत की नहीं बल्कि बड़े अंतर से जीत की जरूरत होगी. जिससे वह चेन्नई को नेट रनरेट में पछाड़ सके. इसके अलावा बाकी टीमों का हाल भी बेंगलुरू के अनुकूल होना जरूरी है.
क्या राजस्थान और बेंगलुरू है एक नाव पर सवार
बिलकुल, दोनों टीमों के छह अंक हैं. नेट रनरेट में राजस्थान की टीम बेंगलुरू से बेहतर है, लेकिन अब उसे भी अपने बचे सारे चार मैच हर हाल में जीतने होंगे. दोनों ही टीमों के पक्ष में यही अच्छा होगा कि अब दिल्ली और चेन्नई कोई मैच न जीतें, लेकिन यह संभव नहीं है क्योंकि दोनों को एक मई को चेन्नई में एक मैच खेलना है. यानि राजस्थान और बेंगलुरू का इन दोनों टीमों में से एक से कोई मुकाबला नहीं हैं.
तो क्या है राजस्थान -बेंगलुरू की असली चुनौती
राजस्थान और बेंगलुरू की असली चुनौती है कि दोनों टीमें अब 14 से ज्यादा अंक हासिल नहीं कर सकी. अगर बाकी टीमों में से चार टीमें 14 से ज्यादा अंक हासिल करने में कामयाब हो गईं, (जो कि काफी मुमकिन भी है), तो दोनों ही टीमें अपने आप ही प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो जाएंगी. ऐसे में दोनों टीमों की नजर इस बात कर कि कितनी टीमें 14अंक के आंकड़े तक पहुंच पाती हैं.
बीच में लटकी टीमों की यह है स्थिति
फिलहाल मुंबई के 10 मैचों में 12 अंक. हैदराबाद के 9 मैचों में 10 अंक हैं वहीं पंजाब और कोलकाता के 10 मैचों में क्रमशः 10 और 8 अंक हैं. फिलहाल 16 अंक हासिल करने वाली टीम प्लेऑफ में पहुंच सकती है. इसके लिए दिल्ली को चार में से दो मैच हैदराबाद को पांच में से तीन मैच और पंजाब के चार में चारों मैच जीतने होंगे. वहीं कोलकता चारों मैच जीतकर भी 14 अंक भी हासिल कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो राजस्थान कोलकाता से हार कर बाहर हो चुकी होगी. लेकिन तब कोलकाता का मुकाबला नेट रनरेट के मामले में बेंगलुरू से हो सकता है. लेकिन ये दोनों टीमें अकेली बिलकुल नहीं रहेंगी.
काफी अगर मगर है अभी
फिलहाल बेंगलुरू और राजस्थान की टीमें तो यही चाहेंगी की कुछ टीमें लगातार मैच हारती रहें. वहीं उनका ध्यान अपनी ही टीम के नेट रनरेट पर ज्यादा हो यह सबसे ज्यादा जरूरी है. जो भी इतना तो तय है कि अगर नेट रन रेट तेजी से नहीं सुधरा तो नेट दोनों ही टीमें सारे मैच जीतकर भी बाहर हो जाएं इतना तय है. राजस्थान की हार ने उसे बेंगलुरू के मुकाबले खड़ा कर दिया है. वहीं कोलकाता का भी यही हाल है. अब दो और टीमें अगर नीचे रहती हैं तो प्लेऑफ की कहानी बहुत ही दिलचस्प होने वाली है.