सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर अमृत कपूर ने कहा कि भारतीय सेना की ओर से पिछले दिनों जो सैन्य कार्रवाई की गई, वह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी जरूरत पड़ने पर समय-समय पर सर्जिकल स्ट्राइक होती रही हैं। हालांकि, इतनी बड़ी कार्रवाई पहले कभी नहीं हुई। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसका राजनीतिकरण हो रहा है। ऐसा पक्ष और विपक्ष दोनों ही कर रहे हैं। वे सोमवार को दैनिक जागरण के नोएडा स्थित कार्यालय में जागरण विमर्श कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस बार इसका विषय ‘सैन्य कार्रवाई पर छिछले राजनीतिक विमर्श की वजह’ रखा गया था। उन्होंने माना कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद सरकार पर जवाबी कार्रवाई करने का दबाव भी था। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार एलओसी पार कर सेना ने जो कार्रवाई की है, उसके बारे में सबसे पहले पाकिस्तान की ओर से ही जानकारी दी गई। उसके बाद भारत ने अपना पक्ष रखा।
भारत की ओर से बहुत सी एयर स्ट्राइक हुई हैं
ब्रिगेडियर कपूर ने बताया कि उन्होंने करीब 36 साल सेना में रहकर देश की सेवा की। इस दौरान बहुत सी स्ट्राइक अलग-अलग स्थानों पर की गई। यह कोई नई बात नहीं है। वह बोले, सेना के पराक्रम का राजनीतिक लाभ किसी भी दल को नहीं लेना चाहिए। चाहे वह सत्ताधारी पार्टी हो या विपक्ष। देश की जनता को अपनी सेना पर विश्वास और गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेना किसी भी दल से जुड़ी हुई नहीं होती। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहां जो भी सरकार होती है, सेना उसी के बताए अनुसार अपना काम करती है। इस तरह की सैन्य कार्रवाई सार्वजनिक नहीं की जाती रही है और अभी भी नहीं की जानी चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार पर पाकिस्तान पर हमला करने का दबाव भी डाला जा रहा है, यह भी ठीक नहीं। यह समझना होगा कि इस तरह की लड़ाई एक-दो दिन की तैयारी से नहीं होती। इसके लिए ज्यादा समय की जरूरत होती है। साथ ही जोड़ा कि भारत वैसे भी शांतिप्रिय देश है।
सेना मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार
उन्होंने कहा कि सैन्य कार्रवाई पर छिछले राजनीतिक विमर्श का सेना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। सेना को प्रशिक्षण इसी तरह का होता है। सेना हर स्थिति से निपटने के लिए हमेशा मानसिक रूप से तैयार रहती है।
आतंकियों के मारे जाने को लेकर अलग अलग दावे
ब्रिगेडियर कपूर ने कहा कि सैन्य कार्रवाई के बाद आतंकियों के मारे जाने की अलग-अलग संख्या सामने आ रही है। बोले, यह जानना इतना जरूरी नहीं है कि कितने आतंकी मारे गए। महत्वपूर्ण यह है कि सेना ने हमला किया और जो लक्ष्य दिए गए थे, उन पर सटीक निशाना साधा। मरे चाहे जितने हों, लेकिन आतंकियों में खौफ तो बन ही गया है। अब आतंकी देश पर किसी तरह का हमला करने से पहले 100 बार सोचेंगे जरूर।
राज्य सरकार ने हटवाए थे चेकपोस्ट
कपूर ने कहा कि सीआरपीएफ के काफिले पर जाते वक्त जिस रास्ते पर हमला हुआ था, वह उस मार्ग से वाकिफ हैं। पहले जब सेना का काफिला गुजरता था तो अन्य लोगों का आना-जाना बंद कर दिया जाता था, लेकिन पिछली राज्य सरकार ने आम लोगों को हो रही असुविधा का हवाला देकर सेना के चेक पोस्ट हो हटा दिया। यही कारण रहा कि आतंकी हमला हो गया।
प्रधानमंत्री के विदेशी दौरे का मकसद
ब्रिगेडियर कपूर ने कहा कि लोग अक्सर इस बात का मजाक बनाते हैं कि प्रधानमंत्री देश में कम और विदेश में ज्यादा समय देते हैं, लेकिन हमें यह समझना होगा कि इसका कोई न कोई मकसद होता है। पाकिस्तान से जब हमारा युद्ध हुआ था, उससे पहले इंदिरा गांधी ने भी 95 देशों का दौरा किया था। प्रधानमंत्री मोदी भी अन्य देशों से अच्छे ताल्लुकात के लिए विदेश जाते हैं। इसी का परिणाम है कि भारत ने जब एयर स्ट्राइक की, कोई भी देश उसके खिलाफ नहीं बोला। चीन, जिसके पाकिस्तान से बेहतर संबंध हैं, वह भी तटस्थ ही रहा।
चुनाव के कारण ज्यादा पकड़ा तूल
उन्होंने कहा कि जल्द ही देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। सभी दल सत्ता पाने के लिए अपनी ओर से कोशिशें कर रहे हैं। यही कारण है कि इस सैन्य कार्रवाई को भी राजनीतिक रूप दे दिया गया। इससे पहले जब उरी आतंकी हमला हुआ था, तब भी भारत ने सैन्य कार्रवाई की थी, उस वक्त आवाजें उठी जरूर, लेकिन कुछ ही दिन में सब शांत हो गया। बोले, देश की सुरक्षा और संरक्षा को लेकर राजनीति करना ठीक नहीं है।
1971 के युद्ध में लड़ चुके हैं
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर अमृत कपूर मूल रूप से अंबाला के रहने वाले हैं। उन्होंने करीब 36 साल तक सेना में रहकर देश की सेवा की। वे राजपूत रेजिमेंट का हिस्सा रहे। उन्होंने 1971 में देश के लिए युद्ध भी लड़ा। वे अपने कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर, पूवरेत्तर और पंजाब में रहे।
राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं दल
उन्होंने कहा कि सभी दल सेना के पराक्रम का राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। देश सबसे ऊपर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री या किसी भी संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति पार्टी का नहीं, बल्कि देश का होता है। विपक्ष को भी राजनीति करने के लिए किसी दूसरे विषय का चयन करना चाहिए, न कि देश की सुरक्षा को लेकर।