पत्नी सुनंदा पुष्कर मौत मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की मुश्किलें बढ़ने वाली हैैं। अडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने आत्महत्या की इस मामले को सेशंस कोर्ट में रेफर कर दिया है। अब थरूर से जुड़े मामले की सुनवाई सेशंस कोर्ट में ही होगी। वहीं, स्वामी ने कोर्ट से सुनवाई में सहयोग की अपील की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील भी खारिज कर दी। केस की सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की गई है। दिल्ली की सेशन कोर्ट में सुनंदा पुष्कर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए शशि थरूर के खिलाफ सुनवाई शुरू होगी।
गौरतलब है कि 17 जनवरी, 2014 की शाम चाणक्यपुरी स्थित पांच सितारा लीला होटल के सुइट नंबर 345 में वह संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई थीं। उस समय पुलिस जांच में यह बात सामने आई थी कि मरने से तीन घंटे पहले उन्होंने अपने स्टाफ से कहा था कि वह उनके लिए सफेद रंग का शूट निकालकर रख दें, उन्हें आइपीएल के मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जाना है। उन्होंने मीडिया के आठ कर्मियों को फोन कर उनसे लंबी बातचीत भी की थी। होटल के कमरे को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि उन्होंने खुदकशी की हो।
घटना के दौरान सुनंदा के सभी मोबाइल को केस प्रॉपर्टी के तौर पर जब्त करने के बजाए तत्कालीन संयुक्त आयुक्त (सदर्न रेंज) विवेक गोगिया ने उसे शशि थरूर को क्यों सौंप दिया था। कमरे में नींद की दवा अल्प्रेक्स के दो खाली पत्ते मिले थे, जबकि वह यह दवा नहीं लेती थीं। आखिर यह दवा वहां कैसे पहुंची, इस बात का भी पुलिस पता नहीं लगा पाई है। बिस्तर पर खून के छीटें, यूरीन और शरीर पर 12 ताजे घाव के निशान मिले थे। बांह पर इंजेक्शन के भी निशान मिले थे। कमरे में ग्लास टूटे हुए मिले थे।
बड़ा सवाल यह भी है कि होटल की जिस तीसरी मंजिल पर सुनंदा ठहरी हुई थीं, उस तल के सभी सीसीटीवी कैमरे खराब क्यों थे। क्या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश तो नहीं थी। पुलिस ने इस पहलू पर भी तहकीकात नहीं की। दूसरी बार मेडिकल बोर्ड ने अपनी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा था कि सुनंदा की मौत जहर से ही हुई है, लेकिन जहर किसी खाद्य पदार्थ में मिलाकर खिलाया गया या इंजेक्शन के द्वारा दिया गया, इसका पता अभी तक नहीं लग सका है।
एम्स फोरेंसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता के नेतृत्व में मेडिकल बोर्ड ने सुनंदा के शरीर में पाए गए केमिकल की जांच के बाद दिल्ली पुलिस को रिपोर्ट सौंपते हुए कहा था कि उनकी मौत जहर से हुई है। अंतिम रिपोर्ट के आधार पर ही तत्कालीन पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी के निर्देश पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज किया था।
मौत से एक दिन पहले 16 जनवरी की रात 12.10 बजे सुनंदा ने वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह से लंबी बात की थी। उन्होंने बताया था कि वह शशि थरूर को लेकर काफी परेशान हैं। वह बातचीत के दौरान काफी रोई भी थीं।
यहां पर बता दें कि सुनंदा पुष्कर भारत में तभी चर्चित हुईं जब वह शशि थरूर के संपर्क में आईं, लेकिन दुबई में वह एक सफल व्यवसायी के रूप में अपनी पहचान रखती थीं। वहां उन्होंने जो संघर्ष किया और सफलता पाई उसके बारे में उन्होंने अपने मृत्यु से कुछ समय पहले विस्तार से बताया था। उनकी आपबीती का एक अंश इस प्रकार है।
पहली शादी
मेरी पहली शादी मेरी जिंदगी का स्याह पक्ष है। लोग कहते हैं कि संजय रैना ने मुझे तलाक दिया। सच यह है कि मैंने उसे तलाक दिया। यह एक परेशान करने वाला रिश्ता था। जब मैं संजय से मिली तब 19 साल की थी। उससे मेरी शादी एक बड़ी गलती थी। हालांकि मैं जल्दी ही जान गई थी कि यह बेमेल शादी है और इसके बारे में मैंने अपने पिता को भी बोला, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया।
दिल्ली में मुझे संजय से तलाक लेने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा। मेरे परिवार वाले तलाक के पक्ष में नहीं थे। इस तलाक के बाद सुजीत ने मुझे सहारा दिया। उस समय वह किसी और महिला के साथ थे। तब मैं उनकी दोस्त भर थी।
दूसरी शादी
1988 में मैंने संजय से तलाक लिया और अगले साल दुबई चली गईं। 1991 में मैंने वहां सुजीत से शादी कर ली। अगले साल शिव पैदा हुआ। दुबई में मैंने कई काम किए। पहला काम पर्यटन से जुड़ा था। सुजीत से शादी के बाद हमने मिलकर कई तरह के इवेंट आयोजित कराए। फिर मैंने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक्सप्रेशंस नामक कंपनी बनाई। इसके तहत कई प्रोडक्ट लॉन्च कराए और मॉडलों के शो आयोजित किए। हमने हेमंत त्रिवेदी, विक्रम फड़नीस, ऐश्वर्या राय के साथ कई शो किए। कुछ समय बाद मुझे एक बड़ी विज्ञापन कंपनी के साथ काम करने का मौका मिला। वह सबसे अच्छा दौर था।
दिल्ली में सुजीत की मौत के बाद सब कुछ बदल गया। 1997 में सुजीत की दिल्ली के करोल बाग में सड़क हादसे में मौत हो गई। एक बार फिर मेरी जिंदगी अंधेरे दौर में आ गई। सुजीत तब आर्थिक रूप से मुश्किल में थे। उनकी मौत के बाद उन्हें उधार देने वाले मुझे धमकी देते थे। इसी बीच शिव गुमसुम रहने लगा और उसने बोलना बंद कर दिया। वह चार साल का था। तब स्पीच थेरेपी इतना चलन में नहीं थी। इसलिए मैं उसे इलाज के लिए कनाडा ले गई। तब मुझे सुजीत का कर्ज चुकाने के साथ अपने परिवार की भी सहायता करनी पड़ती थी। हालांकि हम खाते-पीते घर के थे। कश्मीर में हमारे बाग और अच्छी-खासी जमीन थी, लेकिन 1989 के बाद अन्य कश्मीरियों की तरह हमारे भी हालात बदल गए थे।
दुबई से कनाडा
कनाडा में मुझे नए सिरे से काम तलाशना पड़ा। तब हर कोई भारत के कंप्यूटर इंजीनियरों की तलाश में रहता था। मैंने एक आइटी कंपनी में काम किया। कुछ समय में ही हालात बदल गए और मैंने एक घर और बीएमडब्लू कार खरीद ली। 9-11 की घटना ने आइटी सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया। एक समय ऐसा भी आया जब मेरे पास कोई काम नहीं था।
2004 में बेस्ट होम्स नामक रियल स्टेट कंपनी ने मुझे दुबई में जनरल मैनेजर के तौर पर काम करने का प्रस्ताव दिया। यह मेरा पसंदीदा काम था। मैंने पाया कि दुबई काफी बदल गया है और मेरे तमाम दोस्त पैसे वाले बन गए हैं। शिव को दुबई रास नहीं आया। मैं फिर से कनाडा जाने के बारे में सोचने लगी कि तभी टीकाम कंपनी ने अपने साथ काम करने का ऑफर दिया। जल्दी ही मैंने अपने लिए रेंज रोवर कार खरीद ली और एक खूबसूरत अपार्टमेंट में रहने लगी। यह जुमेरिया पॉम में था। मैंने एक फ्लैट जुमेरिया बीच में और दो एक्जीक्यूटिव टावर में खरीदे।
तीसरा विवाह
शशि थरूर से मैं करीब दो साल पहले 2008 में अपने दोस्त सन्नी वर्की के जरिये मिली थी। उनसे दोस्ती गाढ़ी होने में करीब पांच महीने का वक्त लगा। मैं करीम और अली मोरानी को 1998 से जानती थी। वे जब आइपीएल की केकेआर से जुड़े तो तब मैं उन्हें बताती थी कि वे कैसे ज्यादा पैसे कमा सकते हैं।
थरूर 2007 में अपनी कनाडाई पत्नी क्रिस्टा गिल्स के साथ भारत आ गये थे। उनके लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद सुनंदा का 2010 में शशि थरूर के साथ विवाह हुआ। दम्पति का केरल में मलयाली विवाह पद्धति से उत्सव मनाया गया। यह दोनों का तीसरा विवाह था।