नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में पिछले एक साल में हुए पुलिस मुठभेड़ की एसआईटी से जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से रिपोर्ट तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने एनएचआरसी से 12 फरवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि ये महत्वपूर्ण मसला है और हम इस पर विस्तृत सुनवाई करेंगे। सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि एनएचआरसी राज्य में 17 एनकाउंटर मामलों की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया जाए। यूपी सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि एनकाउंटर फर्जी नहीं हुए हैं। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट और एनएचआरसी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक जांच कर रही है।
16 नवंबर 2018 को यूपी सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया था। अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा है कि पुलिस ने खुद की रक्षा (सेल्फ डिफेंस) के लिए एनकाउंटर किए। राज्य सरकार ने कहा है कि पुलिस पर जब घातक हथियारों से हमला किया गया और अपराधियों ने सरेंडर करने से इनकार कर दिया तब उनका एनकाउंटर किया गया। यूपी सरकार ने हलफनामे में कहा है कि अपराधियों पर कार्रवाई के दौरान 4 पुलिसकर्मियों की भी मौत हुई है जबकि 48 अपराधी मारे गए हैं। हलफनामा में कहा गया है कि याचिका एकपक्षीय है। इसमें केवल एक समुदाय के अपराधियों की हत्या की बात कह गई है। हलफनामे में कहा गया है कि यह कहना गलत है कि किसी खास समुदाय को निशाना बनाकर एनकाउंटर किए गए। हलफनामा में कहा गया है कि 48 एनकाउंटर में 30 बहुसंख्यक समुदाय के थे जबकि 18 अल्पसंख्यक समुदाय के। पुलिस कार्रवाई में धर्म और जाति को आधार नहीं बनाया गया था बल्कि अपराधियों के अपराधों को आधार बनाया गया था।