डार्क सर्कल हो या पिंपल्स, बड़े काम की है मुंह की लार

नई दिल्ली । डॉक्टरों के पास शारीरिक बीमारियों का इलाज मौजूद होता है। लेकिन कुछ बीमारियों के इलाज के लिए घरेलू पद्धतियां भी इस्तेमाल की जाती रही हैं, जिन्हें हम घरेलू इलाज कह सकते हैं। इस तरह के इलाज के लिए हर बार डॉक्टर के यहां जाना भी जरूरी नहीं है और हम अपने आस-पास मिलने वाली लाभदायक चीजों को औषधी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे ही हमारें मुंह में मिलने वाली लार है, जिसका इस्तेमाल हम कई रोगों में कर सकते हैं। रिसर्च में सामने आया है कि मुंह की लार सेहत का भंडार है। इनसे मिलने वाले अनगिनत फायदों के बारे में आइए जानते हैं यहां। मुंह की लार पाचन को बेहतर करने के साथ सेहत के लिए अन्य तरीकों से भी फायदेमंद है। अनियमित दिनचर्या हो या गलत खानपान, प्रदूषण हो या अन्य वजह, चेहरे पर कील-मुंहासे और रूखापन होना आम बात है। ऐसे में सुबह सोकर उठने के बाद मुंह की लार को चेहरे पर लगाने से इन समस्याओं में राहत मिलती है। इसका कारण लार में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण हैं, जिससे कील-मुंहासों की समस्याएं दूर हो सकती हैं।
स्टडी के अनुसार सलाइवा में लाइसोजाइम एंजाइम होते हैं, जिससे चेहरे पर मुंहासे ठीक हो जाते हैं। खास बात है कि जिन लोगों की स्किन ऑयली होती है, उनके रोम छिद्र जल्दी बंद हो जाते हैं। ऐसे में लार को चेहरे पर लगाने से रोम छिद्र खुलते हैं और तैलीय त्वचा संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं।
जानकारी के अनुसार इंसानों की लार में ऐसे कई प्रोटीन भी होते हैं, जिससे घाव ठीक हो जाते हैं। सुबह की लार को केवल कील-मुहांसों को हटाने के लिहाज से ही नहीं, बल्कि और भी कई लिहाज से गुणकारी माना जाता है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि सुबह की बासी लार यदि आंखों पर काजल की तरह लगाई जाए, तो इससे आंखों का शुष्क पन खत्म हो जाता है और कई समस्याएं दूर हो सकती हैं।
कहते हैं सुबह की लार पेट के लिए भी बेहद लाभदायक होती है। जब आप पानी पीते हैं, तो रात भर मुंह में जमा लार पानी के साथ आपके पेट के अंदर जाता है, जो काफी फायदेमंद साबित होता है। यह पाचन संबंधित समस्याओं को भी दूर करने में सहायक है। वैसे भी कहते हैं कि पेट सफा, तो रोग दफा।
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि शरीर के लिए लार बेहद आवश्यक होता है। ऐसे में यदि लार कम बन रही हो तो इसके लिए हमारी रसोई में ही उपाय मिल जाते हैं। कई चीजें हैं जिनका सेवन करते हुए लार बनाया जा सकता है। इसके लिए मेथी, त्रिफला, आंवला के सेवन के साथ ही दातुन के इस्तेमाल से भी लार में वृद्धि होती है। नीम, करंज, बबूल, महुआ, जामुन, कदम्ब, आम, अमरूद, बेल, पीपल, अपामार्ग और बांस इत्यादि के दातुन फायदेमंद होते हैं।
आयुर्वेदाचार्य यह भी बताते हैं कि लार बनने की क्षमता किन-किन वजहों से कमजोर हो जाती है। केमिकल युक्त पेस्ट, नशा करने से या एलोपैथी दवा के साइड इफेक्ट से भी लार बनने की क्षमता प्रभावित होती है।

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