सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा भले ही कायम हो, लेकिन अमेरिका के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस (प्रतिनिधि सभा) के लोवर चेंबर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेटिक पार्टी का कब्जा कायम हो गया है। प्रतिनिधि सभा की कुल 435 सीटों में डेमोक्रेटिक ने 245 सीटें जीती हैं। इस तरह सदन में डेमोक्रेटिक ने 218 के बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। बता दें कि छह नवंबर को हुए मतदान में अमरीकी मतदाता हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और सीनेट के सदस्यों को चुनेंगे। ये दोनों मिलकर ही कांग्रेस कहलाती है। आइए जानते हैं कि इन चुनावी नतीजों का आखिर राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिका की सियासत पर क्या असर पड़ेगा।
उधर, सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा बरकरार है। सीनेट में कुल 100 सीटों में से 51 के बजाए अब 54 सीटें रिपब्लिकन पार्टी को मिल गई हैं। सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के वर्चस्व से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जरूर राहत की सांस ली होगी। लेकिन प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक पार्टी में बहुमत मिलने से ट्रंप प्रशासन के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। बता दें कि आठ वर्षों के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी ने प्रतिनिधि सभा में अपना बहुमत हासिल किया है।
डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नेनसी पलोसी इस जीत से उत्साहित हैं। उनका कहना है कि अब डेमोक्रेटिक पार्टी प्रतिनिधि सभा में बहुमत के ज़रिए अमरीकी संविधान के तहत ट्रंप प्रशासन पर सारी क़ानूनी रोक लगाएगी। अब आम लोगों के हित में काम करने के लिए पार्टी काम करेगी। उन्होंने कहा कि नए क़ानून बनाए जाएंगे और पार्टी स्वास्थ्य, शिक्षा, और अर्थव्यवस्था के लिए काम करेगी।
रिपब्लिकन के हार के मायने
मध्यावधि के यह नतीजे अमेरिकी राजनीति पर गहरे असर डालेंगे। अमेरिका में राष्ट्रपति रिपब्लिकन पार्टी का है। ऐसे में चुनाव के परिणाम रिपब्लिकन पार्टी की लोकप्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, 2020 तक राष्ट्रपति ट्रंप इस पद पर बने रहेंगे। लेकिन इस चुनाव को ट्रंप के बचे दो वर्षों के कार्यकाल पर एक जनादेश के तौर पर देखा जा रहा है। इस चुनाव में डेमोक्रेटिक ने रिपब्लिकन पार्टी को जबरदस्त टक्कर दी और बंपर जीत हासिल की। डेमोक्रेट की जीत ट्रंप प्रशासन के लिए एक खतरे की घंटी है। यह आंशका व्यक्त की जा रही है कि डेमोक्रेटिक पार्टी कांग्रेस में बहुमत में आने के बाद ट्रंप प्रशासन के ख़िलाफ़ कई मामलों में जांच शुरू करवा सकती है।
वहीं, डेमोक्रट की जीत के बाद कांग्रेस में ट्रंप का वर्चस्व कमजोर हुआ है। रिपब्लिकन पार्टी लोवर चेंबर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में अपना बहुमत खो चुकी है। बता दें कि 1994 में रिपब्लिकन पार्टी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट में बहुमत में आई थी। 2006 में रिपब्लिकन फिर से बहुमत में आई और 2010 में भी बड़ी जीत हासिल की। 2014 में रिपब्लिकन पार्टी ने सीनेट में फिर से जीत दर्ज की थी।
क्यों कहा जाता है मध्यावधि चुनाव
क्या आप जानते हैं कि अमेरिका के इस चुनाव को मिडटर्म यानी मध्यावधि चुनाव क्यों कहा जाता है। दरअसल, इसका संबंध अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल से जुड़ा है। चुनाव के वक्त अमरीकी राष्ट्रपति का आधा कार्यकाल पूरा हो चुका होता है। इसलिए इसे मध्यावधि चुनाव कहा जाता है। इस चुनाव के नतीजे अमेरिकी सियासत को प्रभावित करते हैं। चुनावी नतीजों से कई बाद जनता का रूख तय होता है। यह भी तय होता है कि अब अगला राष्ट्रपति किस दल से चुना जाएगा। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस मध्यावधि चुनाव में लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है। इस चुनाव में पिछले 50 सालों का रिकार्ड ध्वस्त हो गया। इसके पूर्व अमरीकी नागरिक इस चुनाव में बहुत दिलचस्पी नहीं लेते थे।