बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को लेकर शॉकिंग खुलासा हुआ है. बीते 6 महीने में वहां हिंदुओं पर हिंसा के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं. आखिर कब थमेगा ये कत्लेआम?
बांग्लादेश को लेकर बड़ा शॉकिंग खुलासा हुआ है. हिंदुओं को मारने में वो तो पाकिस्तान का भी बाप निकाला है! उसने हिंदुओं पर अत्याचार के सारे रिकॉर्ड महज 6 महीने के अंदर ही तोड़ दिए हैं. अगस्त में तख्तापलट के बाद वहां हिंदुओं पर हिंसा के मामले बेहिसाब बढ़े हैं. एक सवाल के जवाब में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया कि इस साल 8 दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं पर अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 2200 मामले सामने आए हैं. वहीं पाकिस्तान में अक्टूबर 2024 तक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 112 मामले सामने आए.
हिंदुओं पर हमले, चिंतित भारत सरकार
भारत सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर काफी चिंतित है. विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है. उन्होंने जवाब दिया, ‘8 दिसंबर 2024 तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 2,200 मामले और अक्टूबर 2024 तक 112 मामले दर्ज किए गए. अन्य पड़ोसी देशों (पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर) में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का कोई मामला नहीं है.’
स्थिति पर रखे हुए बारीकी से नजर
बांग्लादेश में हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर हिंसा से बनी स्थिति पर भारत बारीकी से नजर बनाए हुए है. भारत लगातार बांग्लादेश से हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग रहा है. फिर भी बांग्लादेश में सिचुएशन जस की तस बनी हुई है. विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा, ढाका में भारतीय उच्चायोग पड़ोसी देश में स्थिति पर नजर बनाए हुए है. भारत को उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी.
बांग्लादेश में हालात इतने कैसे बिगड़े?
बांग्लादेश में हालात शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते हुए ही बिगड़ने लगे थे. उनके विरोधी और कट्टरपंथी उनको हटाने की साजिश में जुटे हुए थे. वहां सिचुएशन ने तब और गंभीर रूप ले लिया जब आरक्षण विरोधी आंदोलन भयंकर रूप से हिंसक होने लगा. इस बीच कट्टरपंथी अपने नापाक मसंबूों में जुट हुए. आंदोलन और हिंसा की आड़ में उन्होंने हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. बीतते समय के साथ आंदोलन तो थम गया, लेकिन हिंदुओं पर अत्याचार आज भी बदस्तूर जारी हैं.