मलेरिया प्लाज्मोडियम नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है, यह मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है

कुत्ते की नाक मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में एक शक्तिशाली हथियार बन सकती है। अमेरिकन सोसायटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक बिना लक्षण के कुत्ते मोजे को सूंघकर बता सकते हैं कि व्यक्ति को मलेरिया है। कुत्तों में सूंघने की क्षमता मनुष्य के मुकाबले एक हजार गुना अधिक होती है। इसके नतीजतन वह मलेरिया संक्रमित व्यक्ति की सांसों और उसकी त्वचा से पैदा होने वाली गंध से पहचान कर सकता है। यह तरीका भविष्य में काफी किफायती साबित होगा।

ऐसे हुआ अध्ययन

अफ्रीकी देश गांबिया में स्कूली बच्चों से रात के समय पहने गए नायलॉन के मोजे और खून के नमूने देने को कहा गया था। फिर मोजों को पैक करके यूके भेज दिया गया, जहां दो कुत्तों एक लैब्राडोर और एक लैब्राडोर-रिट्रिवर क्रॉस मौजूद थे। जिन्हें कई महीनों में सिखाया गया था कि मलेरिया संक्रमित बच्चों द्वारा पहने गए मोजों की पहचान कैसे करनी है।

इसके बाद 30 मलेरिया संक्रमित बच्चों और 145 सुरक्षित बच्चों के मोजों का इस्तेमाल किया गया। शोधकर्ताओं ने दोनों प्रकार के मोजों को दो अलग-अलग बॉक्स में रख दिया। इसके बाद कुत्तों ने बॉक्स में रखे मोजों के सूंघना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद चौकाने वाले नतीजे सामने आए। 70 फीसद मोजे मलेरिया संक्रमित बच्चों के थे। वहीं 90 फीसद मोजे गैर मलेरिया संक्रमित बच्चों के निकले।

इनमें भी महारत हासिल

न केवल मलेरिया कुत्ते प्रोस्टेट कैंसर, थायराइड कैंसर और मधुमेह जैसी जानलेवा बीमारियों का भी सूंघकर सटीकता से पता लगा सकते हैं।

मलेरिया मुक्त देश

श्रीलंका, पेराग्वे, क्यूबा, मालदीव, अर्मेनिया, तुर्कमेनिस्तान और मोरक्को

कहां है भारत

भारत में ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और मेघालय जैसे पूर्वी, मध्य और पूर्वोत्तर राज्यों में मलेरिया के ज्यादा मामले सामने आते हैं। इन राज्यों में बड़ी आबादी पहाड़ी और वन्य क्षेत्रों में बसती है, जहां इसका जोखिम ज्यादा है।

क्या है मलेरिया

मलेरिया प्लाज्मोडियम नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है। यह मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। ये मच्‍छर गंदे पानी में पनपता है। आमतौर पर मलेरिया के मच्छर रात में ही ज्यादा काटते हैं। कुछ मामलों में मलेरिया अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। ऐसे में बुखार ज्यादा न होकर कमजोरी होने लगती है और एक स्टेज पर मरीज को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है।

जानें लक्षण

  • तेज बुखार जो ठंड और कंपकंपी के साथ आता है।
  • सिर में तेज दर्द होना एवं मांसपेशियों में दर्द।
  • कमर में दर्द होना।
  • उल्टी आना और उल्टी की इच्छा हमेशा बनी रहना।

गंभीर बीमारी में लक्षण

  • पीलिया होना।
  • पेशाब कम होना।
  • बेहोश होना।
  • दौरे आना।
  • सांस लेने में तकलीफ होना।

मर्ज की जटिलताएं

  • गंभीर अवस्था में दिमागी (सेरीब्रल) मलेरिया होता है। इसमें रोगी बेहोश होता है और कोमा में भी जा सकता है।
  • मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति किडनी, लिवर और लंग्स फेल्यर की स्थिति में भी जा सकते हैं।
  • गर्भवती महिलाओं में मलेरिया का संक्रमण गर्भपात का कारण भी बन सकता है।
  • सही उपचार न होने पर मलेरिया बार-बार हो सकता है जिसे रिलेप्स मलेरिया कहते हैं। रिलेप्स दो से छह माह में होता है। मलेरिया के जीवाणु लिवर में भी जीवित रह सकते हैं।

डायग्नोसिस

  • मलेरिया का निदान ब्लड टेस्ट के द्वारा किया जाता है।
  • रोगी के रक्त से स्लाइड बनाकर प्रशिक्षित डॉक्टर माइक्रोस्कोप के द्वारा प्लाज्मोडियम नामक पैरासाइट की जांच करते हैं।
  • आजकल अत्याधुनिक तकनीक के द्वारा एंटीजेनरेपिड कार्ड टेस्ट से मलेरिया की डायग्नोसिस कुछ ही मिनटों में की जा सकती है।

बेहतर है बचाव

  • मच्छरों को पनपने से रोकें। इसके लिए अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें।
  • मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। इसलिए बारिश के पहले ही नालियों की सफाई करवाएं और गड्ढे आदि भरवाएं।
  • अगर जल निकास संभव न हो तो कीटनाशक डालें।
  • बारिश के दिनों में मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। जैसे पूरी बाजू का कुर्ता और पायजामा आदि।
  • मच्छर भगाने वाली क्रीम और स्प्रे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
  • इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाना जरूरी है। यह कार्य सरकारी तंत्र के अलावा डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ अच्छी तरह से कर सकता है।
  • मलेरिया से बचाव का कोई टीका (वैक्सीन) अभी तक उपलब्ध नहीं है, पर इस पर अनुसंधान जारी है।
  • मलेरिया बहुल इलाकों में जाने वाले व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे कुछ सप्ताह या कुछ महीनों तक डॉक्टर की सलाह से मलेरिया से बचाव के लिए कुछ दवाएं ले सकते हैं।

इलाज के बारे में 

समुचित इलाज न करने या लापरवाही बरतने पर मलेरिया जानलेवा हो सकता है। देश में हर साल हजारों लोग मलेरिया के संक्रमण से मर रहे हैं। इसलिए लक्षणों के प्रकट होते ही रोगी को शीघ्र ही डॉक्टर के पास ले जाकर जांच करवाएं। शीघ्र ही डायग्नोसिस औरइलाज से मलेरिया से होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। मलेरिया में कई तरह की दवाओं का उपयोग होता है।

सबसे कारगर और डब्लूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त फस्र्ट लाइन दवा है- आर्टीमीसाइन कॉम्बिनेशन थेरेपी। यह दो दवाओं का मिश्रण है जो न केवल मलेरिया के रोगी को ठीक करती है बल्कि मलेरिया के रिलेप्स होने और इसे दूसरे व्यक्ति में फैलने से भी रोकती है। इसके अलावा क्लोरोक्वीन और सल्फा ड्रग आदि का भी इस्तेमाल होता है। बुखार उतारने के लिए पीड़ित व्यक्ति को पैरासिटामोल दें और शरीर में पानी की कमी को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ दें।  

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