विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल असुरक्षित भोजन से लगभग 600 मिलियन लोग बीमार पड़ते हैं, जबकि असुरक्षित भोजन से हर साल 420,000 लोग मरते हैं।
साल्मोनेला फूड प्वाइजनिंग का सबसे आम कारण है। यह कच्चे अंडे, अधपके मुर्गे, गोमांस, सूअर का मांस, सब्जियों और प्रोसेस्ड फूड में पाया जा सकता है।
बता दें, आंत में खरबों बैक्टीरिया रहते हैं और उनमें से कई शॉर्ट-चेन फैटी एसिड बनाते है जो हानिकारक रोगजनकों से लड़ने में मदद करते हैं।
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि साल्मोनेला पाचन तंत्र में पोषक तत्वों के संतुलन को बदलकर आंत में बढ़ता है। यह आंत के पोषक तत्वों के वातावरण को बदलकर जीवित रहता है।
अमेरिका के कैलिफोर्निया-डेविस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंड्रियास बॉमलर ने पाया कि पैथोजेनिक कोलन में प्रवेश कर सकता है और फैल सकता है।
मुख्य लेखक बॉमलर ने बताया, साल्मोनेला सबसे पहले छोटी आंत में प्रवेश करता है और आंत की परत में सूजन पैदा करता है। यह भोजन से अमीनो एसिड के सामान्य अवशोषण को बाधित करता है, असंतुलन पैदा करता है, जिससे रोगजनक बड़ी आंत (कोलन) में जीवित रहने और वृद्धि करने में सक्षम होता है।
चूहों के मॉडल में शोधकर्ताओं ने पाया कि साल्मोनेला संक्रमण के कारण रक्त में अमीनो एसिड का अवशोषण कम हो गया। संक्रमण के बाद दो अमीनो एसिड लाइसिन और ऑर्निथिन आंत में अधिक मात्रा में हो जाते हैं और एससीएफए के विकास-अवरोधक प्रभावों को रोकते हैं। इससे साल्मोनेला को जीवित रहने में मदद मिलती है।
बॉमलर ने कहा, हमारे शोध से पता चलता है कि साल्मोनेला बैक्टीरिया आंत में पोषक तत्वों को बदल देता है। इससे अमीनो एसिड को अवशोषित करना मुश्किल हो जाता है।
निष्कर्ष बताते हैं कि कोलन डिजीज और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे सूजन संबंधी आंत्र विकारों के दौरान आंत का वातावरण किस प्रकार बदलता है, तथा इससे आंत के संक्रमण के लिए बेहतर उपचार की संभावना बढ़ सकती है।