कौन हैं तुसली गबार्ड, हिंदू लेडी जिन्हें ट्रंप ने बनाया यूएस इंटेलीजेंस चीफ, जानिए कितनी पावरफुल?

अमेरिका नवर्निवाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को बड़ी ही अहम जिम्मेदारी सौंपी है. डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर बनाया है. आइए जानते हैं तुलसी गबार्ड कौन हैं.

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने अपनी टीम एक हिंदू महिला जांबाज को जगह दी है. उस लेडी का नाम तुलसी गबार्ड हैं, जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ी ही अहम जिम्मेदारी दी है. डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर बनाया है. अपनी नौकरी के तहत तुलसी गबार्ड अमेरिका में 18 जासूसी एजेंसियों की देखरेख करेंगी. आइए जानते हैं कि तुलसी गबार्ड कौन हैं और वह कितनी पावरफुल लेडी हैं.

ट्रंप की कट्टर समर्थक हैं तुलसी गबार्ड

तुलसी गबार्ड पूर्व में डेमोक्रेट कांग्रेस की सदस्य रही हैं, अब वे डोनाल्ड ट्रंप की कट्टर समर्थक बन गई हैं. 2020 में गैबार्ड राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक नामांकन की मांग करते हुए सुर्खियों में आईं. बाद में उन्होंने दौड़ से बाहर होने का ऑप्शन चुना और जो बिडेन का समर्थन किया, जिन्होंने अंततः चुनाव जीता. लगभग दो साल बाद यानी 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के लिए कैंपेनिंग की. तुलसी गबार्ड हिंदू धर्म का पालन करती हैं, उनको मंचों पर हरे रामा हरे कृष्णा भजन गाते हुए देखा गया हैं. जब वे कांग्रेस के लिए चुनी गईं थी, तब उन्होंने भगवत गीता पर शपथ ली थी.

कौन हैं तुलसी गबार्ड? (Who is Tulsi Gabbard)

  • 43 वर्षीय तुलसी गबार्ड का जन्म अमेरिकी समोआ में 12 अप्रैल 1981 में हुआ. वे हवाई (Hawai’i ) में पली बढ़ीं. कुछ समय के लिए फिलीपींस में भी रही हैं.

  • तुलसी गबार्ड का राजनीतिक सफर 21 साल की उम्र में हवाई हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के रूप में शुरू हुआ था.

  • तुलसी गबार्ड ने अब्राहम विलियम्स से शादी की है, जो एक सिनेमैटोग्राफर है. तुलसी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में काफी एक्टिव रहती हैं.

  • उनको भगवद गीता जैसे कई हिंदू प्राचीन ग्रंथ को अच्छी खासी नॉलेज हैं. उनका पालन-पोषण एक वैष्णण हिंदू संगठन SIF की शिक्षाओं के साथ हुआ, जो इस्कॉन से जुड़ा हुआ है.

कितनी पावरफुल हैं तुलसी गबार्ड?

तुलसी गबार्ड को निडर बताया जाता है, जिसके चलते वे किसी भी मुश्किल भरी सिचुएशन से निपटने में माहिर हैं. 2003 में वे हवाई आर्मी नेशनल गार्ड में शामिल हुईं. जुलाई 2004 में उन्हें इराक में 12 महीने के दौरे के लिए तैनात किया गया था. गबार्ड, जो आर्मी रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर हैं और उन्हें इराक में युद्ध का अनुभव है. इतना ही नहीं वे कई तरह के हथियार चलाने में माहिर है.

नेशनल इंटेलिजेंस का डारेक्टर बनने के बाद तुलसी गबार्ड की पावर में जबरदस्त इजाफा हुआ है. इस पद पर रहते हुए वे अमेरिका की 18 जासूसी एजेंसियों की देखरेख करेंगी. उनको खूफिया ऑपरेशन की लीड करने की बेहतरीन समझ है. तुलसी गबार्ड की सबसे बड़ी ताकत उनकी तेजी से फैसला लेना की ताकत है. उनको विदेशी मामलों का भी अच्छा जानकार बताया जाता है.

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