मार्गरेट अल्वा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, हरियाणा के परिणाम निराशाजनक हैं। मैं 2004 से 2009 तक हरियाणा की जिम्मेदारी संभालने वाली एआईसीसी महासचिव थी, जब कांग्रेस ने राज्य में दो बार जीत हासिल की थी।
मार्गरेट अल्वा ने लिखा कि जीत के लिए पार्टी के भीतर संतुलन बनाए रखना और व्यक्तिगत आकांक्षाओं के साथ-साथ पार्टी के भले के लिए एकजुटता आवश्यक है। इस चुनाव में हम उस संतुलन को बनाने में असफल रहे। बड़े पैमाने पर विद्रोही उम्मीदवारों की संख्या पार्टी के खराब प्रबंधन को दर्शाती है। छोटी-छोटी सार्वजनिक लड़ाइयां, झूठा आत्मविश्वास और एक ऐसा अभियान जिसने निश्चित जीत को हार में बदल दिया।
हालांकि, उन्होंने इस बात पर सकारात्मकता भी व्यक्त की कि यह परिणाम हरियाणा में भाजपा के 10 साल के खराब शासन के खिलाफ आक्रोश को कम नहीं करेंगे, बल्कि इसे और बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें उस आक्रोश को सही दिशा में चैनलाइज करने की आवश्यकता है और 2025 के हरियाणा पंचायत और नगरपालिका चुनावों में जीत हासिल करनी होगी, ताकि हम एक मजबूत और एकजुट विपक्ष के रूप में काम कर सकें।
आपको बताते चलें, हरियाणा विधानसभा की 90 में से 48 सीटें भाजपा के खाते में, 37 सीटें कांग्रेस के खाते में, 2 सीटें आईएनएलडी के खाते में और 3 सीटें अन्य के खाते में गई हैं। जेजेपी का इस बार खाता भी नहीं खुल पाया है। सरकार बनाने के लिए किसी भी दल के पास 46 विधायक होने चाहिए। इस लिहाज से भाजपा प्रदेश में सरकार बना सकती है।