लखनऊ, 8 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश में औद्योगिक परिवेश को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न मोर्चों पर कार्य कर रही योगी सरकार ने औद्योगिक वादों के निस्तारण के लिए ई-कोर्ट प्रक्रिया के सुदृढ़ीकरण के दिशा में भी सार्थक प्रयास करने जा रही है। सीएम योगी के विजन अनुसार, औद्योगिक न्यायाधिकरण में ई-कोर्ट प्लेटफॉर्म से औद्योगिक विवादों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक डिजिटल समाधान का विकास किया जाएगा। इस प्रणाली के निर्माण व विकास का जिम्मा श्रीट्रॉन इंडिया लिमिटेड को सौंपा गया है। उल्लेखनीय है कि इस प्रणाली के जरिए औद्योगिक विवाद से संबंधित मामले दर्ज करने तथा सभी पक्षों के लिए एक सहज इंटरफेस विकसित करने पर फोकस किया जाएगा। खास बात यह है कि इस प्लैटफॉर्म पर पक्ष अपना इनपुट व दस्तावेज अपलोड कर यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उनकी प्रस्तुतियां कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं या नहीं। इसके अतिरिक्त, सिस्टम स्वचालित रूप से प्रस्तुतियों को मान्य कर एक यूनीक केस नंबर उत्पन्न करेगा जो आवेदकों को यह पुष्टि प्रदान करेगा कि संबंधित मामले समीक्षाधीन हैं।
प्राप्त वादों के प्रभावी प्रबंधन का माध्यम बनेगा ‘ई-कोर्ट प्लेटफॉर्म’
सीएम योगी की मंशा अनुसार, ई-कोर्ट प्लैटफॉर्म सभी प्राप्त वादों के प्रभावी प्रबंधन की सुविधा प्रदान करेगा, जिसमें स्वीकृति से लेकर समाधान तक ट्रैकिंग सक्षम होगी। साथ ही न्यायालय के कर्मचारियों के लिए मामलों की समीक्षा और सत्यापन के लिए उपकरण होंगे। इससे उचित वर्गीकरण और प्रक्रियाओं का पालन किया जा सकेगा। साथ ही वादों को प्रकार के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा, जैसे कि वेतन विवाद, गलत तरीके से बर्खास्तगी, आदि, ताकि प्रसंस्करण और असाइनमेंट को सुव्यवस्थित हो सकेगी। इस प्लेटफॉर्म में सुनवाई के लिए तारीख और समय निर्धारित करने के लिए एक शेड्यूलिंग सिस्टम होगा, जो न्यायालय के संसाधनों और पक्षकारों के शेड्यूल की उपलब्धता को समायोजित करेगा। यह अधिकारियों या न्यायालयों के बीच केस के हस्तांतरण का भी समर्थन करेगा। इसके साथ ही, सभी पक्षों को स्वचालित सूचनाएं और केस रिकॉर्ड को अपडेट करने व निर्धारित तिथियों और समय को प्रबंधित करने के लिए एक कैलेंडर सिस्टम को एकीकृत करने में मदद करेगा। अदालती आदेश और नोटिस जारी करने तथा अनुकूलन योग्य टेम्पलेट्स के माध्यम से इसे सुव्यवस्थित किया जाएगा जिसमें केस विकास के आधार पर स्वचालन क्षमताएं होंगी।
केवल सूचनाओं की डिलीवरी ही नहीं, ट्रैकिंग सिस्टम से भी होगा लैस
यह प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक सूचनाओं और भौतिक मेल सहित विभिन्न डिलीवरी विधियों का समर्थन करेगा, और जारी किए गए दस्तावेजों की स्थिति को ट्रैक करेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे प्राप्त हुए हैं और स्वीकार किए गए हैं। उपयोगकर्ता प्रबंधन अंतर्गत यह न्यायालय के कर्मचारियों, अधिकारियों और वकीलों के लिए अनुमतियों का प्रबंधन करने के लिए रोल बेस्ड एक्सेसिबिलिटी से लैस होगा, जिसमें प्रोफाइल बनाई जाएगी और अपडेट की जाएगी। प्लेटफ़ॉर्म केस के आंकड़ों, प्रोसेसिंग टाइम व बैकलॉग सहित विभिन्न तथ्यों से संबंधित इनसाइट भी उपलब्ध करवा सकेगा और इसके लिए रिपोर्टिंग और एनालिटिक्स टूल का इस्तेमाल करेगा। यह मौजूदा प्रणालियों के साथ एकीकृत होगा और कानूनी फर्मों और सरकारी एजेंसियों के साथ डाटा एक्सचेंज को सक्षम करेगा।
संवेदनशील जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिहाज से विकसित होगा इंटरफेस
- मजबूत सुरक्षा उपायों के माध्यम से विकसित किए जा रहे ई-कोर्ट प्लैटफॉर्म व इंटरफेस को संवेदनशील जानकारी की रक्षा करने में सक्षम बनाया जाएगा और वह सभी कानूनी मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
- सिस्टम हेल्प डेस्क के माध्यम से उपयोगकर्ता सहायता भी प्रदान करेगा और प्लेटफ़ॉर्म पर नेविगेट करने में उपयोगकर्ताओं की सहायता के लिए ट्यूटोरियल और गाइड सहित प्रशिक्षण सामग्री प्रदान करेगा।
- प्लेटफॉर्म को कार्यात्मक और उभरती जरूरतों के प्रति उत्तरदायी बनाए रखने के लिए नियमित रखरखाव और अपडेट किए जाएंगे, जिससे औद्योगिक विवादों का प्रभावी और कुशल प्रबंधन सुनिश्चित होगा।
- यह चार फेज में वाद निस्तारण संबंधी सुविधाएं उपलब्ध करवाने में सक्षम होगा तथा कोर्ट ऑर्डर व नोटिस को इशू करने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों पर प्राथमिकता से कार्य करेगा।