कोलकाता। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार से पूर्ण हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल का निर्णय सोमवार रात आठ घंटे लंबी चली जनरल बॉडी (जीबी) बैठक के बाद लिया गया। इससे पहले, शनिवार को हुई बैठक में डॉक्टरों ने चेतावनी दी थी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे राज्यव्यापी हड़ताल करेंगे।
पानिहाटी के सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज में पहले से ही हड़ताल जारी है। जूनियर डॉक्टरों ने कुल दस मांगें प्रस्तुत की हैं, जिनमें प्रमुख रूप से पीड़िता को जल्द न्याय दिलाना, स्वास्थ्य सचिव को हटाना, अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाना, सरकारी अस्पतालों में केंद्रीय रेफरल प्रणाली लागू करना, अस्पतालों में खाली बिस्तरों की निगरानी की व्यवस्था करना, छात्र संघ चुनाव कराना, अस्पतालों में रिक्त पदों को भरना, धमकी देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करना, और अस्पतालों में सीसीटीवी और पैनिक बटन की व्यवस्था करना शामिल है। जब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान जूनियर डॉक्टरों की वकील इंदिरा जयसिंह ने सात व्यक्तियों को निलंबित करने की मांग की। कोर्ट ने सीबीआई को उन लोगों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जिनके खिलाफ जांच चल रही है। राज्य के वकील ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि जिन लोगों की सूची सीबीआई द्वारा दी जाएगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि 31 अक्टूबर तक सभी सरकारी अस्पतालों में सीसीटीवी और सुरक्षा से संबंधित काम पूरे कर लिए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि जूनियर डॉक्टर क्यों केवल आपातकालीन सेवाएं दे रहे हैं। राज्य ने जवाब दिया कि डॉक्टर केवल जरूरी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन ओपीडी और अन्य सेवाएं नहीं। इसके जवाब में इंदिरा जयसिंह ने कहा कि जरूरी सेवाओं में ओपीडी और आईपीडी दोनों शामिल हैं। इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि जूनियर डॉक्टर सभी आवश्यक सेवाएं प्रदान करें।
यह मामला आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार से संबंधित है। जूनियर डॉक्टर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से त्वरित न्याय की मांग कर रहे हैं। 14 अक्टूबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी।