भारतीय सेना द्वारा 13 अप्रैल, 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया गया था। यह युद्ध स्मारक, उस ऑपरेशन के बाद से शहीद हुए सैनिकों और अधिकारियों के बलिदान का प्रतीक है। राष्ट्रपति ने सियाचिन बेस कैंप में तैनात सैनिकों को संबोधित भी किया।
राष्ट्रपति ने कहा, आप सभी जवानों और अधिकारियों से यहां आकर मिलने की मेरी इच्छा आज पूरी हो रही है। मैं आप सबसे मिलकर बेहद खुशी का अनुभव कर रही हूं। तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर के रूप में मुझे आप सभी पर विशेष गर्व का अनुभव हो रहा है। सभी देशवासी, आप सब की बहादुरी को सलाम करते हैं। मैं सभी देशवासियों की ओर से आप सबके लिए विशेष सम्मान व्यक्त करती हूं।
राष्ट्रपति ने यहां जवानों को संबोधित करते हुए कहा, कुछ देर पहले मुझे शहीदों के स्मारक स्थल में श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर मिला। भारत-माता की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वाले सभी बहादुर सियाचिन वॉरियर्स की पावन स्मृति को मैं सादर नमन करती हूं। देश के इस अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र की रक्षा के लिए ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत आज से लगभग 40 वर्ष पहले अप्रैल, 1984 में हुई थी, तब से लेकर आज तक भारतीय सेना के बहादुर जवानों और अधिकारियों ने इस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की है। आप सब की तथा आपके पूर्ववर्ती अधिकारियों और जवानों की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। आप सब जटिल मौसम का सामना करते हैं। भारी बर्फबारी और माइनस 50 डिग्री टेंपरेचर जैसी विकट स्थितियों में आप सब अपने मोर्चे पर पूरी निष्ठा और सतर्कता के साथ तैनात रहते हैं। मातृभूमि की रक्षा के लिए आप सब त्याग और सहनशीलता के असाधारण उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। मैं आप से यह कहना चाहती हूं कि सभी देशवासी आप सबके त्याग और शौर्य के बारे में सचेत हैं। पूरा देश आप सब का सम्मान करता है। सभी भारतवासियों की शुभकामनाएं आप सब के साथ हैं।
राष्ट्रपति में जवानों से कहा कि आप सब अपने परिवार-जनों से दूर रहते हैं। देशवासियों की रक्षा के लिए आप सब तथा आपके परिवारों के लोग तपस्या करते हैं। मैं आप सब के परिवार-जनों को सभी देशवासियों की ओर से हृदय से धन्यवाद देती हूं। मातृभूमि की रक्षा के गौरवशाली कर्तव्य को आप दृढ़ता-पूर्वक निभाते हैं। मेरी प्रार्थना है कि आप सभी स्वस्थ रहें और आप सब के परिजन सानंद रहें।