ड्रैगन की गर्दन दबोचने की तैयारी? अमेरिका से भारत को मिलेंगे ‘सुपर किलर’ ड्रोन, नाम से ही कांपते हैं दुश्मन

 भारत को अमेरिका से जल्द ही ‘सुपर किलर’ ड्रोन मिलने वाले हैं. इन ड्रोन के मिलने से भारत की सैन्य ताकत का इजाफा होगा. आइए जानते हैं कि कैसे ये ड्रैगन की गर्दन दबोचने की तैयारी है.

 भारत को अमेरिका से जल्द ही ‘सुपर किलर’ ड्रोन मिलने वाले हैं. ये ड्रोन इतने खतरनाक हैं कि नाम से दुश्मन कांपते हैं. ये वही ड्रोन है जिससे अमेरिका ने अलकायदा के सरगना अल जवाहिरी को मार गिराया था. अभी तक भारतीय सेना अमेरिका से लीज पर लेकर इन ड्रोन का इस्तेमाल कर रही थी और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर नजर रख रही थी. हालांकि, भारत ने ऐसे 31 ड्रोन खरीदने की अमेरिका से डील कर रखी थी, जिनके जल्द ही मिलने की उम्मीद है. इन ड्रोन के मिलने से भारत की सैन्य ताकत का इजाफा होगा. आइए जानते हैं कि कैसे ये ड्रैगन की गर्दन दबोचने की तैयारी है.

पीएम मोदी ने बाइडेन से की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिका दौरे पर राष्ट्रपति जो बाइडेन के संग द्विपक्षीय बैठक की थी. इस मीटिंग में यूएस-इंडिया डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉर्पोरेशन रोडमैप पर भी चर्चा हुई. दोनों नेताओं के बीच 31 MQ-9B (16 स्काई गार्जियन और 15 सी गार्जियन) ड्रोन की सप्लाई को लेकर भी बातचीत हुई. अमेरिका की ओर इन ड्रोन की सप्लाई को लेकर सकारात्मक रुख दिखा है, जिससे उम्मीद है कि ये ड्रोन जल्द ही भारत को मिल सकेंगे. बता दें कि MQ-9B को दूसरे शब्दों में प्रीडिएटर (यानी शिकारी) भी कहा जाता है. इन ड्रोन को दूर बैठे ही यानी रिमोटली ऑपरेट किया जा सकता है.

ड्रैगन की गर्दन दबोचने की तैयारी कैसे?

पीएम मोदी अमेरिका में क्वाड शिखर सम्मेलन (Quad Summit 2024) में शामिल हुए, जिसमें इंडो पैसिफिक रिजन का मुद्दा छाया रहा. पीएम मोदी ने कहा, ‘हम सभी एक रूल्स बेस्ड इंटरनेशनल ऑर्डर, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मसलों के शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालने का समर्थन करते हैं. फ्री, ऑपन, इनक्लूसिव और प्रॉस्परस इंडो पैसिफिक हमारी साझा प्राथमिकता और साझा प्रतिबद्धता है.’ बता दें कि इंडो पैसिफिक हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों को मिलाकर बना एक समुद्री क्षेत्र है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दक्षिण चीन सागर (South China Sea) भी शामिल है.

गलवान संघर्ष के बाद लीज पर लिए थे ड्रोन

भारतीय नौसेना ने 2020 में गलवान संघर्ष के ठीक बाद अमेरिकी फर्म से लीज पर एमक्यू-9बी सी गार्डियन ड्रोन लिए थे, जिन्हें अमेरिकी ड्रोन पायलट चेन्नई स्थित इंडियन नेवी बेस में बैठकर भारतीय नौसेना मिशनों के लिए उड़ाते हैं. इन ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी मिशनों के लिए करती है, ताकि चीनी सेना और खुफिया जानकारी जुटाने वाले जहाजों पर नजर रखी जा सके. इस क्षेत्र में समुद्री डाकुओं और अन्य तत्वों के खिलाफ ऑपरेशन किए जा सकें. जब भारत को अमेरिका से ऐसे 31 ड्रोन और मिलेंगे तो हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की हरकतों पर लगाम लगेगी और ताक-झांक करते ड्रैगन की गर्दन दबोचने में मदद मिलेगी!

कितना खतरनाक है ये ड्रोन?

  • MQ-9B सी-गार्डियन ड्रोन एक मानवरहित हवाई वाहन है, जिसे बड़े आराम से दूर से ही ऑपरेट किया जा सकता है. इसे ‘प्रीडिटर्स’ के नाम से भी जाना जाता है.

  • इनमें हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) की विशेषता होती है, जो एक सैटेलाइट का उपयोग करके 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकते हैं.

  • सेनाएं अक्सर इन ड्रोन का इस्तेमाल आक्रामक अभियानों, सर्विलांस और इंटेलीजेंस जैसे खुफिया ऑपरेशंस को अंजाम देने के लिए करती हैं.

  • अमेरिका के इस ड्रोन को दुनिया का सबसे ताकतवर ड्रोन माना जाता है. अमेरिका और इजराइल के अलावा इस ड्रोन की टेक्नोलॉजी किसी ओर देश के पास नहीं है.

  • MQ-9B ड्रोन 170 हेलफायर मिसाइल, 310 GBU-39B सटीक-निर्देशित ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम से लैस हैं.

 

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