अपनी आवाज से दर्शकों को दीवाना बनाने वाले एस. पी. बालासुब्रमण्यम की 25 सितंबर को पुण्यतिथि है। एस. पी. बालसुब्रमण्यम ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान एक गायक के तौर पर स्थापित की, लेकिन उन्होंने गायिकी के अलावा संगीत निर्देशक, फिल्म निर्माता और एक्टिंग में भी हाथ आजमाया। मगर उन्हें शोहरत दिलाई उनकी आवाज ने। इसी वजह से उन्हें एसपीबी और बालू जैसे नाम भी मिले।
4 जून 1946 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए बालासुब्रमण्यम के पिता हरिकथा कलाकार थे। पिता का सपना था कि उनके बेटे एस.पी. इंजीनियर बनकर सरकारी नौकरी हासिल करें, लेकिन उनकी तकदीर में भगवान ने कुछ और ही लिखा था। बालासुब्रमण्यम को कम उम्र से ही संगीत में रुचि हो गई थी। इसी वजह से जब उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की, तो उनका संगीत से नाता नहीं छूटा और उन्होंने इसको सीखना जारी रखा।
बालासुब्रमण्यम का गायिकी में डेब्यू हुआ साल 1966 में, जब उन्होंने मर्यादा रमन्ना की तेलुगु फिल्म के लिए एमिये विंटा मोहम गीत को गाया। इसके बाद वह नहीं रुके और उन्हें एक के बाद एक कई प्रोजेक्ट्स मिलने लगे। बताया जाता है कि उन्होंने एक दिन में सबसे अधिक गाने रिकॉर्ड किए थे। उन्होंने कन्नड़ में 21 गाने और तमिल में 19 और हिंदी में 16 गानें रिकॉर्ड किए।
बालासुब्रमण्यम को 1980 में आई तेलुगु फिल्म शंकरभरणम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। इस दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक का पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी किस्मत आजमाई और यहां भी उनकी आवाज का जादू चल निकला। एक दूजे के लिए (1981) उन्हें एक और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। उन्होंने छह बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया।
दक्षिण भारतीय सिनेमा में बालासुब्रमण्यम एक्टर चिरंजीवी की आवाज बने, तो हिंदी सिनेमा में वह सलमान खान की आवाज बने। पहली बार उन्होंने सलमान खान के लिए ‘मैंने प्यार किया’ में गाया था। उन्हें ‘दिल दीवाना’ गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ मेल सिंगर के फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया। इसके बाद उन्होंने सलमान खान की फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’, ‘साजन’ जैसी फिल्में के लिए भी गाने गए।
बताया जाता है कि वह मोहम्मद रफी के फैन थे। बालासुब्रमण्यम ने अपने फिल्मी करियर के दौरान 16 भाषाओं में 40 हजार से भी अधिक गाने गाए। तेलुगु सिनेमा के लिए उन्हें 25 बार नंदी पुरस्कार भी जीता। इसके अलावा उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने अंतिम दिनों में भी गानों को गाना जारी रखा। 25 सितंबर 2020 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।