भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, राहुल गांधी को चीन पर विश्वास है, लेकिन भारत के जनरल पर विश्वास नहीं है। देश के पूर्व आर्मी जनरल ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि भारत की एक इंच जमीन भी चीन के पास नहीं है। लेकिन, राहुल गांधी तो चीन के साथ मिलकर एजेंडा चलाते हैं। कांग्रेस का चीन के साथ करार है।
उन्होंने कांग्रेस नेता पर हमला बोलते हुए कहा, राहुल गांधी उटपटांग बयान देते हैं, उन्हें आरएसएस के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। उनके परनाना ने 1963 में रिपब्लिक डे की परेड में बुलाया था, क्योंकि 1962 की लड़ाई में आरएसएस ने अपना योगदान दिया था। आरएसएस का अपना एक राष्ट्रवाद का इतिहास है, राहुल गांधी को कोई जानकारी नहीं है इसलिए वह अज्ञानता के साथ बातें करते हैं।
भाजपा प्रवक्ता आरपी सिंह ने सिखों की पगड़ी पर दिए राहुल के बयान का जिक्र करते हुए कहा, वह देश में अलगाववाद को बढ़ावा देना चाहते हैं और इसके लिए वह विदेश की धरती का इस्तेमाल करते हैं। मैंने पहले ही कहा था कि उनके बयान का दुरुपयोग खालिस्तानी करेंगे और उनकी तरफ से राहुल गांधी के समर्थन में प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। वह लोग राहुल गांधी के बयान का समर्थन कर रहे हैं। राहुल गांधी अगर इस तरह का बयान देंगे तो ऐसा ही होगा।
उन्होंने आगे कहा, जब कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाई गई थी तो उस समय भी राहुल गांधी ने कहा था कि कश्मीर में खून-खराबा हो रहा है। जबकि, सच्चाई बिल्कुल अलग थी। थोड़े दिन बाद इमरान खान ने उनके बयान का हवाला दिया था और अब खालिस्तानी भी उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं।
इल्हान उमर और राहुल गांधी की मुलाकात पर आरपी सिंह ने कहा, खालिस्तान हो या कश्मीर, वह वहां विचारधारा के बीज बो रहे हैं। इल्हान उमर वहीं शख्स हैं, जिसने हमेशा भारत के खिलाफ बोला है। उसने भारत के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया था। अब दोनों के बीच हुई मुलाकात का जवाब तो कांग्रेस पार्टी को देना है, उनका स्टैंड क्या है। हम तो लगातार कह रहे हैं कि वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है।
भाजपा नेता ने उमर अब्दुल्ला पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल-370 पर अपना फैसला दे दिया है। उनको अधिकार है कि वह रिव्यू पिटीशन दायर कर सकते हैं, लेकिन आर्टिकल- 370 और 35ए का मामला अब पूरी तरह से खत्म हो चुका है। अब्दुल्ला को यह साफ करना चाहिए कि क्या वे आतंकियों के रिश्तेदारों को नौकरी देंगे? क्या पत्थरबाजों को रिहा करेंगे? राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला को इन बातों का जवाब देना चाहिए।