डॉ. भागवत की स्वयंसेवकों को नसीहत- सेवा भाव से संघ में आएं, नेता बनने नहीं

कोलकाता । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने स्थानीय रथींद्र मंच में आयोजित प्रबोधन वर्ग में अपने संबोधन में स्वयंसेवकों को बड़ी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि आप अगर संघ में आते हैं तो सेवा भाव से आइए। राष्ट्र के लिए समर्पित रहिए। अगर आप सोचेंगे कि यहां आकर नेता बनेंगे और टिकट मिलेगा तो यह भूल जाइए।

उन्होंने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भी विचार रखे। संघ प्रमुख ने सरकार को सलाह दी कि जनगणना के आंकड़ों का उपयोग विभिन्न विकास योजनाओं के लिए किया जाना चाहिए। यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इन आंकड़ों का दुरुपयोग वोट बैंक की राजनीति के लिए न हो।

संघ के पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों के लिए रविवार रात आयोजित विशेष कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि विभिन्न विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के लिए समाज के विभिन्न तबकों के आंकड़ों की आवश्यकता पड़ सकती है। परंतु इस बात की गारंटी होनी चाहिए कि यह डेटा राजनीतिक लाभ के लिए न इस्तेमाल हो।

संघ प्रमुख ने संबोधन में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर भी चर्चा की। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की पहल ‘मिशन साहसी’ का जिक्र किया, जो समाज के हर क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि देश में भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानूनों की आवश्यकता है।

डॉ. भागवत ने शिक्षा व्यवस्था की औपनिवेशिक मानसिकता पर भी चिंता व्यक्त की और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में समग्र शिक्षा के “डिकोलोनाइजेशन” (औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति) की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में ऐसे बदलाव किए जाने चाहिए, जो हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति को समझने और आगे बढ़ाने में सहायक हों।

सरसंघचालक ने “राष्ट्रहित सर्वोपरि” और “वसुधैव कुटुंबकम” के सिद्धांतों पर आधारित संघ के दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में ‘स्वबोध’ (आत्मबोध) की भावना होनी चाहिए और समाज को संघ और उसके कार्यों को हर वर्ग से समझने का प्रयास करना चाहिए।

स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका पर चर्चा करते हुए भागवत ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार और अनुशीलन समिति के प्रमुख क्रांतिकारियों जैसे त्रैलोक्यनाथ चक्रवर्ती के बीच के संबंधों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय मेडिकल कॉलेज कोलकाता में अपने प्रवास के दौरान क्रांतिकारियों के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में संघ की भूमिका का भी उल्लेख किया।

संघ प्रमुख भागवत ने बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि 1943 हो या 1971 या उसके बाद जब भी ऐसी स्थिति बनी बांग्लादेश के हिंदू भाग कर भारत आए। इस बार पहली बार ऐसा हुआ कि वहां से हिन्दू भागे नहीं बल्कि संगठित होकर सड़कों पर उतरे। यह अच्छे संकेत हैं। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा, “अगर आपके पास एक थीम है, तो हमारे पास एक टीम है। और अगर आपके पास एक टीम है, तो हमारे पास एक थीम है।” उनके इस संदेश ने संघ के कार्य करने के तरीके और विचारधारा को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। सरसंघचालक ने एक बार फिर से संघ के विचारों और दृष्टिकोण को समाज के सामने रखा, और संघ के सेवा भाव और राष्ट्रभक्ति को और अधिक सशक्त रूप से सामने लाने का आह्वान किया।

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