उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मैं इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। हिंदू नाम रखना और हिंदू को आतंकवाद से जोड़ना कहीं ना कहीं इसमें बड़े षड्यंत्र की बू आती है। हिंदू कभी इन नामों से नहीं जाना जा सकता क्योंकि जो हमारी संस्कृति है, उसमें हम कहते हैं, सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।। यानी सब सुखी हों, सब निरोगी हों, सबका मंगल हो। सबका कल्याण ही हमारी संस्कृति की मूल विचारधारा रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “इस बारे में अगर ऐसी कोई बात हुई है तो यह भारत सरकार का मामला है और सरकार को भी संबंधित व्यक्ति को तलब करके तुरंत इस पर संज्ञान लेना चाहिए। आने वाले समय में हम भारत सरकार को अपने संस्कृति विभाग की तरफ से पत्र लिखेंगे और जिसने यह काम किया है, जिसने भी जबरदस्ती उन आतंकवादियों को हिंदू नाम दिए हैं, उसके ऊपर कार्रवाई की जानी चाहिए, ऐसा हम पत्र के माध्यम से भारत सरकार को लिखेंगे।”
वेब सीरीज ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक’ 29 अगस्त ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है। इसमें 1999 में नेपाल के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली इंडियन एयरलाइंस की आईसी 814 फ्लाइट को पांच आतंकवादियों द्वारा हाईजैक करने की कहानी को दिखाया गया है। जैसे ही फ्लाइट हवा में पहुंची, विमान में सवार पांच आतंकियों ने उसे हाईजैक कर लिया। 176 यात्री सवार थे, इनमें से कुछ विदेशी भी थे।
विमान को शाम के समय नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचना था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसके हाईजैक होने की जानकारी मिली। फ्लाइट को बंदूक की नोक पर दिल्ली की बजाए अमृतसर ले जाया गया, क्योंकि आईसी 814 में ईंधन खत्म हो रहा था। कुछ समय तक विमान अमृतसर रुका रहा फिर भी वो काम नहीं हुआ जिसके लिए उतारा गया था। नतीजतन आंतकियों के निर्देश पर पायलट विमान को लाहौर लेकर पहुंचा।
यहां भी फ्लाइट आईसी 814 ने उतरने की अनुमति मांगी, मगर पाकिस्तानी एटीसी ने उसे अस्वीकार कर दिया। बाद में विमान को उतरने की परमिशन मिली और ईंधन भरने के बाद विमान को संयुक्त अरब अमीरात के अल मिन्हाद एयर बेस पर उतारा गया। यहां अपहरणकर्ताओं ने 27 यात्रियों को रिहा कर दिया। वहां से विमान सीधे अफगानिस्तान के कंधार के लिए रवाना हो गया।
जिन पांच आतंकियों ने फ्लाइट को हाईजैक किया था, वह सभी पाकिस्तानी थे। उनका मकसद था भारत की जेल में बंद मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर की रिहाई। जनवरी 2000 की विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, विमान में सवार अपहरणकर्ताओं ने अपने नाम को छिपाया था और वे काल्पनिक नाम चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर नाम से एक-दूसरे को संबोधित करते थे।
आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन के पांच आतंकवादियों के नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर था।
25 और 26 दिसंबर को भारत की ओर से बातचीत का दौर शुरु हुआ। 27 दिसंबर को भारत सरकार ने गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक काटजू की अध्यक्षता में एक टीम को कंधार के लिए रवाना किया। इसमें गृह मंत्रालय के अधिकारी अजीत डोभाल और सीडी सहाय भी शामिल थे।
हाईजैक के लगभग आठ दिन के बाद 31 दिसंबर 1999 को सभी नागरिकों को रिहा कर दिया गया। नागरिकों की रिहाई के बदले में अपहरणकर्ताओं को मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को सौंपा गया। खौफ भरे आठ दिन के बाद सभी नागरिकों को सकुशल भारत लाया गया। जिस वक्त विमान हाईजैक हुआ था, उस समय भारत में एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। आतंकियों की रिहाई के लिए सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था।
इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी। उन्होंने 10 लोगों को आरोपी बनाया था, इनमें पांच अपहरणकर्ताओं सहित सात आरोपी अभी भी फरार हैं और उनके ठिकानों के बारे में आज तक पता नहीं लग पाया है।