सुप्रीम कोर्ट ने रिकवरी एजेंटों से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई की. इस दौरान उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि रिकवरी एजेंट फर्म गुंडो का समूह है.
पहले जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, याचिकाकर्ता देवाशीष बी.रॉय चौधरी ने 2014 में बैंक ऑफ इंडिया से 15 लाख से अधिक का लोन लिया था. लोन की मासिक किश्त 26,502 रुपये है और 84 किश्तों का भुगतान किया जाना था. बदले में बैैंक ने बस को गिरवी रखा था. कर्ज न चुका पाने पर बैंक ने रिकवरी एजेंट से बस उठवा ली थी. लोन चुकता करने के बाद भी बैंक ने बस नहीं लौटाई. इसी मामले में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने सुनवाई की.
अदालत ने की यह टिप्पणी
अदालत की बेंच ने सुनवाई के दौरान रिकवरी एजेंट कंपनी के खिलाफ एक्शन लिया. पश्चिम बंगाल सरकार को बेंच ने निर्देश दिया कि रिकवरी एजेंट कंपनी के खिलाफ एक्शन लें और दो महीने के अंदर आरोप पत्र दाखिल करें. अदालत ने निर्देश दिया कि पीड़ित वाहन के मालिक को भी मुआवजा दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी नंबर 4 और एक रिकवरी एजेंट गुंडों का एक समूह जान पड़ता है, जो अपनी ताकत से लोन लेने वाले लोगों को परेशान करता है.
रिकवरी एजेंट से राशि वसूलने का BOI को निर्देश
एफआईआर पिछले साल आईपीसी की धारा 406, 420, और 471 के तहत दर्ज की गई थी. एफआईआर सोदपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई थी. अदालत ने कहा कि बिना किसी देरी के तार्किक निष्कर्ष पर जाएं. दो माह के अंदर आरोप पत्र दायर हो. अदालत ने कहा कि ध्यान दिया जाए कि रिकवरी एजेंट ने गाड़ी बाद में वापस तो की पर क्षतिग्रस्त हालत में. यहीं नहीं, बस का चेचिस नंबर और इंजन नंबर भी बदल दिया गया था. अदालत ने बैंक ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि वे रिकवरी एजेंट से राशि वसूलें.