संयुक्त राष्ट्र (शाश्वत तिवारी)। संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि और प्रभारी आर. रविंद्र ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में ‘शांति के लिए नया एजेंडा – संघर्ष की रोकथाम के वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पहलुओं पर विचार’ विषय पर खुली बहस में भारत का वक्तव्य दिया। उन्होंने विशेष रूप से अफ्रीका और पश्चिम एशिया क्षेत्र में बिगड़ते हालात तथा अनिश्चितता की ओर इशारा किया और दुनिया में बढ़ते संघर्ष पर चिंता जाहिर की। भारतीय राजदूत ने कहा कि दुनिया तेजी से दो गुटों में बंट रही है, जिसमें कुछ क्षेत्रों में शांति, सुरक्षा तथा समृद्धि है, जबकि अन्य क्षेत्र संघर्ष तथा हिंसा के निरंतर चक्र में फंसे हुए हैं। उन्होंने अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों में अस्थिरता का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवादियों, सशस्त्र विद्रोहियों और बाहरी सहयोग के साथ संगठित आपराधिक समूह आधुनिक तकनीक का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे दुनिया में संघर्ष बढ़ रहा है।
भारत ने वैश्विक समुदाय से अपील की कि संघर्ष की रोकथाम में एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाए, जो न केवल तात्कालिक समस्याओं को सुलझाए, बल्कि दीर्घकालिक स्थिरता और विकास को भी सुनिश्चित करे। इसी क्रम में रविंद्र ने कहा यह पहचानने की जरूरत है कि संघर्ष की रोकथाम जटिल है और कई पहलुओं से युक्त है, जिसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत है। इसलिए हमें न केवल राजनीतिक प्रक्रिया, बल्कि सतत और समावेशी आर्थिक विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने वाला एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने पर विचार करना है। सभी पहलुओं को एक साथ मिलाकर ही हम स्थायी शांति और सुरक्षा की दिशा में प्रभावी कदम उठा सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र, न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन ने बैठक के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा भारत ने हमेशा शांति स्थापना और शांति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रतिनिधित्वपूर्ण एवं समावेशी शासन संरचना शांति को स्थिर करने, मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और कानून के शासन की रक्षा करने में मदद करेगी।