यूपी में साकार हो रहा जय विज्ञान, जय किसान का नारा

लखनऊ : कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। और किसान इस देश की आत्मा। इसीलिए अर्थव्यवस्था की तमाम चमक उस साल फीकी पड़ जाती है जिस साल किसी वजह (बाढ़, सूखा,कीटों औरों रोगों का प्रकोप) से खेती किसानी प्रभावित होती है।
क्यों जरूरी है किसान और विज्ञान का समन्वय यूं तो ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के जरिए खेतीबाड़ी पर जो चुनौतियां हैं उसके मद्देनजर किसानों और वैज्ञानिकों का बेहतर समन्वय जरूरी है। उत्तर प्रदेश के लिए तो खास तौर से क्योंकि ये देश का इकलौता राज्य है जिसके करीब तीन चौथाई हिस्से पर खेती होती है। नौ तरह की कृषि जलवायु होने के कारण खेतीबाड़ी की लगभग सारी फसलें होती हैं। ग्लोबल वार्मिंग और इसकी वजह से होने वाले जलवायु परिवर्तन की वजह से खेतीबाड़ी के क्षेत्र की चुनौतियों में भी वृद्धि होना स्वाभाविक है। यहीं किसानों के परंपरागत ज्ञान के साथ विज्ञान की भूमिका महत्त्व पूर्ण हो जाती।

समन्वय के लिए योगी सरकार द्वारा किए जा रहे कार्य

योगी सरकार कृषि विज्ञान केंद्रों की संख्या बढ़ाकर, द मिलियन फार्मर्स स्कूल,सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, कुशीनगर में नए कृषि विश्वविद्यालय, गोरखपुर और भदोही में पशु चिकित्सा महाविद्यालय, रायबरेली में उद्यान महाविद्यालय और प्रदेश के एक कृषि विश्वविद्यालय को प्राकृतिक खेती से जोड़ने जैसी योजनाओं से योगी सरकार जय किसान, जय विज्ञान के नारे को साकार कर रही है। आने वाले समय में इसका असर कृषि क्षेत्र के कायाकल्प के रूप में दिखेगा।

एक्सटेंशन कार्यक्रमों के जरिए लगातार होता है वैज्ञानिकों और किसानों का संवाद

उल्लेखनीय है कि किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध योगी सरकार एक्सटेंशन कार्यक्रमों के विस्तार के जरिए “जय विज्ञान जय किसान” नारे को साकार कर रही है। किसान कल्याण केंद्र, रबी और खरीफ के सीजन में न्याय पंचायत स्तर पर द मिलियन फार्मर्स कार्यक्रम, प्रदेश से लेकर मंडल और जिला स्तर पर आयोजित कृषि उत्पादक गोष्ठियां इसका प्रमाण हैं। इससे नियमित अंतराल पर किसानों और कृषि वैज्ञानिकों में संवाद बना रहता है।

कृषि विज्ञान केंद्रों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और स्वावलंबी बना रही योगी सरकार

इस पूरे कार्यक्रम को गति देने में सर्वाधिक अहम भूमिका हर जिले में बने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके )की भूमिका सबसे अहम होती है। यही वजह है कि योगी सरकार ने आते ही यह लक्ष्य रखा कि हर जिले में एक और जरूरत के अनुसार बड़े जिलों में दो कृषि विज्ञान केंद्र होने चाहिए। सात साल पहले तो कई जिलों में ये केंद्र थे ही नहीं। आज इन केन्द्रों की संख्या 89 हैं ।

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए 18 केंद्र चयनित

अगले चरण में योगी सरकार की योजना क्रमशः इन केंद्रों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की है। इस क्रम में पहले चरण में दिसंबर 2023 में 18 कृषि विज्ञान केंद्रों का चयन किया गया। इस बाबत 26 करोड़ 36 लाख की परियोजना स्वीकृत करने के साथ 3 करोड़ 57 लाख 88 हजार रुपये की पहली किश्त भी की जारी की गई।

कृषि विज्ञान केंद्रों की आधारभूत सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार

केवीके को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के चयन में इस बात का ध्यान रखा गया है कि अलग कृषि विश्विद्यालयों से संबद्ध ये केंद्र प्रदेश के हर क्षेत्र से हों। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चुने जाने के साथ संबंधित केंद्रों की बुनियादी सुविधाएं बेहतर करने के साथ वहां की परंपरा और कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार उनको किस सेक्टर पर अधिक फोकस करना है,इस बाबत भी निर्देश दिए हैं।

केवीके में हो रहे बदलाव

इन केंद्रों में संबंधित क्षेत्र की कृषि जलवायु के मद्देनजर फसलों, सागभाजी और फलों की प्रजातियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा केवीके को क्रमशः आत्म निर्भर और रोजगार परक बनाने की है। लिहाजा कई केंद्रों पर प्रिजर्वेशन यूनिटस भी लगीं हैं। इनमें फलों के अंचार ,जैम, जेली,पाउडर बनाने की सुविधा है। इस बाबत सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। बागों के रखरखाव के लिए माली प्रशिक्षण भी इसीकी एक कड़ी है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित होने के बात आधारभूत सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार हुआ है।

जिले जिनके केवीके सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने हैं

मऊ, बलरामपुर, गोरखपुर सोनभद्र, चन्दौली, बांदा, हमीरपुर, बिजनौर, सहारनपुर, बागपत , मेरठ, रामपुर, बदायूँ ,अलीगढ़, इटावा, फतेहपुर और मैनपुरी । इन सबके लिए पहली किस्त की राशि भी जारी कर दी गई है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com