मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि मुस्लिमों को समान नागरिक संहिता स्वीकार्य नहीं है. मुस्लिम अपने शरिया कानून से किसी भी प्रकार से समझौता नहीं कर सकता.
अब जानें क्या बोले थे पीएम मोदी
बता दें, पीएम मोदी ने कहा था कि समाज का बड़ा वर्ग मानता है कि मौजूदा नागरिक संहिता एक तरह का सांप्रदायिक नागरिक संहिता है और यह बात सच भी है. इससे समाज में भेदभाव बढ़ता है. नागरिक संहिता देश को धार्मिक आधार पर अलग करता है. इससे असमानता बढ़ती है. बता दें, 15 अगस्त के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू करने की आवश्यकता है. पीएम मोदी के भाषण के बाद से देशभर में दोबारा यूसीसी की बहस छिड़ गई है.
पर्सनल मुस्लिम बोर्ड ने जताई आपत्ति
पर्सनल बोर्ड ने साफ किया कि वे शरिया कानून से अलग नहीं होने वाले हैं. बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास ने प्रधानमंत्री ने धार्मिक व्यक्तिगत कानूनों को सांप्रदायिक बताया, यह आश्चर्यजनक है. भारतीय मुसलमानों को धर्म के अनुसार कानून का पालन करने की आजादी है. अनुच्छेद 25 नागरिकों को अपने धर्म को मानने, उसका प्रचार-प्रसार और उसके पालन का पूर्ण अधिकार है. मुस्लिमों के अलावा, अन्य धर्मों के पारिवारिक कानून उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार है. धार्मिक कानूनों को हटाना, पश्चिम की नकल करना है.
इलियास ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जानबूझकर समान नागरिक संहिता को धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता बोल रहे हैं. लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है. उनकी नजर सिर्फ शरिया कानून पर है.