लखनऊ: सात साल पहले जो उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य हुआ करता था। पूर्ववर्ती बहुजन समाज पार्टी (बसपा)और समाजवादी पार्टी (सपा) के समय में जो राज्य अराजकता और भ्रष्टाचार का पर्याय हुआ करता था। निवेश करने की बात दूर जिन लोगों ने निवेश कर रखा था वह भी अपना बैरिया बिस्तर समेट रहे थे। कुछ तो समेट चुके थे।
पर सात में हालात पलट गए
बेहतर कनेक्टिविटी, वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा से पूरा माहौल ही बदल गया। आज देश के सबसे तेजी से उभरते हुए 100 शहरों में यूपी के चार शहर शीर्ष पर हैं। ये शहर हैं काशी,अयोध्या, कानपुर और लखनऊ। यह सरकार नहीं रीयल एस्टेट की सलाहकार फर्म कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट कह रही है। फर्म ने शहर के अनुसार ये भी बताया है कि संबंधित शहर में किस क्षेत्र की (आवासीय, वेयर हाउस,डाटा सेंटर ,रिटेल और हिस्पिटिलिटी सेक्टर) संभावनाएं अधिक हैं
इन संभावनाओं की वजहें भी हैं।
राम मंदिर के साथ 32 हजार करोड़ की 200 परियोजनाओं से हुआ अयोध्या का कायाकल्प
अयोध्या जो कभी सप्तपुरियों में शुमार थी, उसके प्रति गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों की प्रतिबद्धता से हर कोई वाकिफ है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कभी योगी आदित्यनाथ ने इस प्रतिबद्धता को छिपाया नहीं। जब भी मौका मिला वह अयोध्या गए वहां के लिए विकास की सौगात दी। समय निकालकर वह इन विकास कार्यों का भौतिक सत्यापन भी करने जाते रहे। हाल के दो दौरे इसका प्रमाण हैं। अयोध्या में करीब 32 हजार करोड़ रुपए की लागत से करीब 200 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें से अधिकांश परियोजनाएं इसी साल या अगले साल के शुरू में राम मंदिर के साथ ही पूरी हो जाएंगी। योगी सरकार के समय में ही शुरू दीपोत्सव से अयोध्या की पूरी दुनियां में ब्रांडिंग हुई।
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर,गंगा आरती और देव दीपावली से और बढ़ा काशी का आकर्षण
काशी भी सप्तपुरियो में से एक है। दुनियां की सबसे प्राचीनतम और देवाधिदेव महादेव की प्रिय काशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और अन्य विकास परियोजनाओं के कारण काशी का पिछले 10 वर्षों में कायाकल्प हो चुका है। गंगा आरती, देव दीपावली मेले का आयोजन और भव्य होने से काशी के प्रति देश दुनियां का आकर्षण और बढ़ा।
ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे,जीटी रोड का चौड़ीकरण और मेट्रो से बदली कानपुर की सूरत
रही कानपुर की बात तो कभी यह देश का प्रमुख ओद्योगिक शहर हुआ करता था। कपड़े की कई मिलों के कारण गंगा के किनारे बसे इस शहर को भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था। यहां चमड़ा उद्योग की भी पूरे दुनियां में ख्याति थी। मिलें क्रमशः बंद होती गईं और चमड़ा उद्योग प्रदूषण की मुख्य वजह बन गया। यातायात की अराजकता अलग से। योगी सरकार ने चमड़ा उद्योग के प्रदूषण पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाया। गंगा के घाटों का सुंदरीकरण करवाया, सुरक्षित, तेज और आराम देह सफर के लिए मेट्रो की शुरुआत की। एयरपोर्ट की शुरुआत, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, और कानपुर से कन्नौज की जीटी रोड को छह लेन करने से प्रदेश की राजधानी लखनऊ और देश की राजधानी दिल्ली से इसकी कनेक्टिविटी बेहतर हुई।
लखनऊ। यह पहले से नवाबों की नगरी और प्रदेश की राजधानी रहा है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से इस महानगर की खूब ब्रांडिंग हुई।
काशी और अयोध्या का टूरिस्टों की संख्या बढ़ाने में प्रमुख योगदान
बदली हुई काशी और अयोध्या का प्रदेश में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। इससे टूरिज्म से बढ़ने वाली आय में भी खासा इजाफा हुआ। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2023 में यूपी में आने वाले पर्यटकों की संख्या 48 करोड़ थी। बेहतर ब्रांडिंग के जरिए इसे 2028 तक 80 हजार करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य है। इसी तरह इस सेक्टर से 2016/2017 में आय 11हजार करोड़ थी। 2028 तक इसे 70 हजार करोड़ करने का लक्ष्य है।