मातृ-शिशु मृत्यु अनुपात कम करने में वरदान है योगी की 102 एंबुलेंस सेवा, देशभर में रिस्पांस टाइम में भी अव्वल

लखनऊ, 3 अगस्त: योगी सरकार की 102 एंबुलेंस सेवा (मदर एंड चाइल्ड सर्विसेस) गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। पहले गर्भवती महिलाओं को समय पर चिकित्सा सुविधा न मिलने से जच्चा और बच्चा दोनों की जान काे खतरा रहता था। ऐसे में योगी सरकार ने 102 एंबुलेंस सेवा का सुदृढ़ीकरण कर मातृ शिशु मृत्यु अनुपात को कम करने में बड़ी भूमिका निभायी है। योगी सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि वर्तमान में 102 एंबुलेंस सेवा का रिस्पांस टाइम घटकर 7 मिनट रह गया है। इसका मतलब ये है कि आपात स्थिति में जच्चा-बच्चा तक मात्र सात मिनट में चिकित्सीय सुविधा प्राप्त हो रही है। इसी तरह रिस्पांस टाइम में उत्तर प्रदेश पूरे देश में नंबर एक पर है जबकि सबसे खराब रिस्पांस टाइम झारखंड का है।

2270 एंबुलेंस के जरिये रोजाना 40 हजार से अधिक जच्चा-बच्चा हो रहे लाभांवित

प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी ने मातृ-शिशु मृत्यु अनुपात को कम करने के लिए बड़े कदम उठाये। इसके लिए जहां प्रदेश के शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों को सुदृढ़ किया गया, वहीं 102 एंबुलेंस सेवा के रिस्पांस टाइम को कम करने के लिए विभिन्न कदम उठाये गये। उसके नतीजे आज सबके सामने हैं। सीएम योगी की दूरदर्शी सोच और मॉनीटरिंग का ही असर है कि वर्तमान में एंबुलेंस सेवा 102 का रिस्पांस टाइम मात्र 7:06 मिनट है जबकि वर्ष 2016 में रिस्पांस टाइम 11:28 मिनट था। यह रिस्पांस टाइम एकाएक कम नहीं हुआ बल्कि सीएम योगी के विगत सात वर्षों में लगातार किये गये प्रयासों और पहलों से संभव हो पाया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सीएम योगी ने 2019 और 2023 में खटारा हो चुकी क्रमश: 1554 और 674 एंबुलेंस को हटाकर नई स्वास्थ्य तकनीक से लैस एंबुलेंस की खरीद की। इसके अलावा सेवा को बेहतर करने के लिए 306 अतिरिक्त नई एंबुलेंस को जोड़ा गया। वर्तमान में प्रदेश में कुल 2270 एंबुलेंस सेवा 102 संचालित हैं। इसके जरिये प्रदेश में औसतन रोजाना 40,524 जच्चा-बच्चा को सहायता प्रदान की जा रही है।

प्रदेश में बेहतर एंबुलेंस सेवा से मातृ-शिशु मृत्यु अनुपात में दर्ज की गयी कमी

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने बताया कि 102 एंबुलेंस सेवा के रिस्पांस टाइम में कमी आने से प्रदेश में मातृ-शिशु मृत्यु अनुपात में काफी कमी दर्ज की गयी है। उन्हाेंने बताया कि सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) के अनुसार वर्ष 2015-17 में प्रदेश की मातृ मृत्यु अनुपात 216 प्रति लाख दर्ज की गयी थी, जो कम हो करके वर्ष 2018-2020 में 167 प्रति लाख पहुंच गयी है। इसी तरह वर्ष 2016 में प्रदेश की शिशु मृत्यु अनुपात 23 प्रति हजार दर्ज की गयी थी, जो कम हो करके वर्ष 2020 में 21 प्रति हजार पहुंच गयी है। मैटेरनल हेल्थ के जीएम डॉ. आरपी दीक्षित ने बताया कि सरकार द्वारा हर दो साल पर एसआरएस सर्वे कराया जाता है। वहीं वर्ष 2020 के बाद अब तक एसआरएस सर्वे की रिपोर्ट नहीं आयी है। उन्होंने बताया कि पिछली सर्वे रिपोर्ट और बेहतर 102 एंबुलेंस सेवा से यह निश्वित है कि आने वाली रिपोर्ट में और भी मृत्यु अनुपात में कमी का आंकड़ा सामने आएगा।

पूरे देश में झारखंड का सबसे खराब रिस्पांस टाइम

मिशन निदेशक के अनुसार, सीएम योगी के प्रयासों का ही नतीजा है कि साल दर साल एंबुलेंस सेवा का रिस्पांस टाइम कम होता गया। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस सेवा 102 का रिस्पांस टाइम वर्ष 2016 में 11:28 मि., वर्ष 2017 में 12:01 मि. और वर्ष 2018 में 11:21 मि. दर्ज किया गया। वहीं वर्ष 2020 में 13:42 मि. और वर्ष 2021 में 12:02 मि. रिस्पांस टाइम दर्ज किया। वर्ष 2020 और 2021 का रिस्पांस टाइम वैश्विक कोरोना बीमारी के समय का है। इसके बाद वर्ष 2022 में 7:01 मिनट और वर्ष 2023 में 7:02 मिनट दर्ज किया गया है। वहीं वर्तमान में रिस्पांस टाइम 7:06 मिनट है। सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे देश में एंबुलेंस सेवा का सबसे कम रिस्पांस टाइम उत्तर प्रदेश का ही है, जबकि उत्तर प्रदेश देश भर में सबसे अधिक 25.74 करोड़ जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश एंबुलेंस सेवा के रिस्पांस टाइम 7:06 मिनट के साथ देशभर में पहले स्थान पर है। वहीं दूसरे स्थान पर 7:57 मिनट के साथ राजस्थान, तीसरे स्थान पर 10:45 मिनट के साथ केरल है। सबसे खराब रिस्पांस टाइम 16:02 मिनट झारखंड का है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश का रिस्पांस टाइम 15:01 मिनट और दिल्ली का 13:31 मिनट है।

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