लखनऊ, 16 जुलाई। योगी सरकार हर बार की तरह इस बार भी पौधरोपण का रिकार्ड बनाने जा रही है। 20 जुलाई को एक दिन में 36.50 करोड़ पौधों के रोपण से यह रिकॉर्ड बनेगा। हर साल लगभग इसी सीजन में किए जाने वाले पौधरोपण का मकसद प्रदेश में हरितिमा बढ़ाना, पर्यावरण को स्वच्छ व सुंदर बनाना, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करना है। साथ ही योगी सरकार इस अभियान के जरिये लोगों की सेहत का भी ख्याल रखती है। यही वजह है कि अपनी तमाम खूबियों के कारण पोषण का पावर हाउस और चमत्कारिक पौध कहे जाने वाले सहजन के पौधरोपण पर खास ध्यान देती है। इस बार के पौध रोपण अभियान में भी सहजन के 55 लाख पौधे लगाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्देश है कि हर आंगनवाड़ी केंद्र, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को सहजन के पौधे दिए जाएं। यही नहीं विकास के मानकों पर पिछड़े आकांक्षात्मक जिलों में हर परिवार को सहजन के कुछ पौधे लगाने को भी प्रेरित किया जाए। गृह वाटिका के पीछे भी सीएम की यही सोच रही। दरअसल अगर लोग सहजन की खूबियों को जान जाएं और उनका सेवन करें तो यह कुपोषण के खिलाफ एक सफल जंग सरीखा होगा। अब तो केंद्र सरकार भी सहजन की खूबियों की मुरीद हो चुकी है। पिछले साल केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिया था कि वे पीएम पोषण योजना में स्थानीय स्तर पर सीजन में उगने वाले पोषक तत्वों से भरपूर पालक, अन्य शाक-भाजी एवं फलियों के साथ सहजन को भी शामिल करें।
खूबियों का खजाना है सहजन
सहजन सिर्फ एक पौधा नहीं है बल्कि खुद में पोषण का पावरहाउस है। इसकी पत्तियों एवं फलियों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण होते हैं। इनमें 92 तरह के विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।
तुलनात्मक रूप से सहजन के पौष्टिक गुण
- विटामिन सी- संतरे से सात गुना।
- विटामिन ए- गाजर से चार गुना।
- कैल्शियम- दूध से चार गुना।
- पोटैशियम- केले से तीन गुना।
- प्रोटीन- दही से तीन गुना।
दैवीय चमत्कार भी कहा जाता है सहजन को
दुनिया में जहां-जहां कुपोषण की समस्या है, वहां सहजन का वजूद है। यही वजह है कि इसे दैवीय चमत्कार भी कहते हैं। दक्षिणी भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती होती है। साथ ही इसकी फलियों और पत्तियों का कई तरह से प्रयोग भी। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने पीकेएम-1 और पीकेएम-2 नाम से दो प्रजातियां विकसित की हैं। पीकेएम-1 यहां के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुकूल भी है। यह हर तरह की जमीन में हो सकता है। बस इसे सूरज की भरपूर रोशनी चाहिए।
पशुओं एवं खेतीबाड़ी के लिए भी उपयोगी
सहजन की खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं। चारे के रूप में इसकी हरी या सूखी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुने से अधिक और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है।