लखनऊ: केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर में बौद्धदर्शन एवं पालि विद्याशाखा द्वारा 08 जुलाई, 2024 से 18 जुलाई, 2024 तक दस दिवसीय ‘व्यावहारिक पालि व्याकरण शिक्षण कार्यशाला’ का आयोजन चल रहा है। इस अवसर पर बौद्ध दर्शन एवं पालि विद्याशाखा के संयोजक प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी का कहना है कि ‘भारत में पालि के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। दिन-प्रतिदिन पालि पढ़ने की इच्छा से अनेक देश के विविध शहरों से लोग विद्याशाखा में सम्पर्क करते हैं। अनेक बार तो विदेशों से भी पालि सीखने की इच्छा से मेल प्राप्त होते रहते हैं। पालि की ऐसी व्यापक मांग तथा उत्साह को देखते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी जी ने बी.ए. तथा एम.ए. के स्तर पर ओडीएल (ओपन एण्ड डिस्टेंस लर्निंग) के माध्यम से पाठ्यक्रम चलाने का अनुमोदन प्रदान किया है।
विश्वविद्यालय के तात्कालिक एकेडेमिक अफेयर्स के डीन प्रो. बनमाली बिश्वाल जी के ओडीएल के माध्यम से इन पाठ्यक्रमों को आरम्भ करने हेतु विशेष प्रयास किया गया तथा मुक्त स्वाध्याय पीठ के निदेशक प्रो. रत्नमोहन झा के पत्र द्वारा इसकी अधिसूचना जारी हो चुकी है। वर्तमान में परिसर निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा के दिशा-निर्देशन में इन पाठ्यक्रमों की अध्ययन सामग्री (स्टडी मटेरियल) हिन्दी माध्यम से बनायी जा रही है। हिन्दी में पाठ्य सामग्री तैयार होने पर अंग्रेजी माध्यम से भी पाठ्य सामग्री तैयार की जायेगी। अग्रिम सत्र से ये दोनों पाठ्यक्रम आरम्भ हो जायेंगे। पाठयक्रम आरम्भ होने के पश्चात् देश-विदेश से लोग घर बैठे ही पालि का अध्ययन कर सकेंगे।’ विद्याशाखा की प्राध्यापिका डाॅ. कृष्णा कुमारी का कहना है कि ‘भारत में पालि की पढ़ाई के लिए संसाधनों की बहुत कमी है। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भारत का प्रथम ऐसा विश्वविद्यालय होगा, जो ओडीएल के द्वारा पालि विषय में बी.ए. तथा एम.ए. के उपाधि पाठ्यक्रमों को आरम्भ कर रहा है। निश्चय ही इस पाठ्यक्रम को आरम्भ करने से बड़ी संख्या में अध्येताओं को लाभ होगा।
ज्ञात हो कि वर्तमान में विश्वविद्यालय के मुक्त स्वाध्याय पीठ (डायरेक्ट्रेट ऑफ डिस्टेंस एजुकेशन) के द्वारा पालि में डिप्लोमा तथा सर्टिफिकेट कोर्स के लिए प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है।