नई दिल्ली: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक है और इसे भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के नाम पर रखा गया है. इस पुराण में मुख्यतः धर्म, नीति, आचार, मृत्यु के बाद की यात्रा, पितृलोक, और पुनर्जन्म से संबंधित विषयों पर जानकारी दी गई है. इसे दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है, पूर्व खंड और उत्तर खंड. मृत्यु लोक पर जन्म लेने वाला कोई भी प्राणी अमर नहीं है. सभी को एक ना एक दिन मरना ही होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मरने के बाद आत्मा का क्या होता है. ऐसा क्यों कहा जाता है कि मृत्यु के 24 घंटे के बाद आत्मा अपने घर वापस आती है. अगर आत्मा लौटकर आती है को वह कितने दिनों तक अपने घर में रहती है. अगर आप ये नहीं जानते तो आपके इन सभी सवालों का जवाब गरुड़ पुराण में विस्तार से बताया गया.
मृत्यु के बाद आत्मा का सफर
गरूड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो यमराज के दूत उसकी आत्मा को अपने साथ यमलोक ले जाते हैं जहां उसके पुण्य और पाप कर्म का लेखा जोखा किया जाता है. 24 घंटे के अंदर यम दूत उस प्राणी की आत्मा को वापस उसके घर छोड़ जाते हैं. यमदूत के द्वारा वापस छोड़ जाने के बाद मृतक की आत्मा अपने परिजनों के बीच ही भटकती रहती है और अपने परिजनों को पुकारती रहती है. लेकिन उसकी आवाज को कोई नहीं सुनता. यह देख मृतक की आत्मा बेचेन हो जाती है और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती है. तब भी उसकी आवाज को कोई नहीं सुनता. मृतक की आत्मा अपने शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करती है, लेकिन यमदूत के पास में बंधे होने के कारण वह मृत शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती है.
इसके अलावा, गरुड़ पुराण में बताया गया है कि किसी की मृत्यु हो जाने पर जब उसके परिजन रोते बिलखते हैं तो यह देख मृत आत्मा दुखी हो जाती है और वह भी रोने लगती है लेकिन वह कुछ कर नहीं पाती और लाचार होकर अपने जीवन काल में किए गए कर्मों को याद करके दुखी हो जाते हैं. गरुड़ पुराण की माने तो जब यमदूत मृतक की आत्मा को उसके परिजनों के बीच छोड़ जाते है तो उसके बाद उस आत्मा में इतना बल नहीं रहता की भाई यमलोक की यात्रा तय कर सके. गरूड़ पुराण के अनुसार किसी भी मनुष्य की मृत्यु के बाद जो 10 दिनों तक पिंड दान किया जाता है उससे मृतात्मा के विभिन्न अंगों की रचना होती है. और फिर ग्यारहवें और बारहवें दिन जो पिंडदान किया जाता है, उससे मृतक की आत्मा रूपी शरीर का मांस और त्वचा का निर्माण होता है और जब 13 दिन तेरहवीं की जाती है तब मृतक के नाम से जो पिंड दान किया जाता है उससे ही वो यमलोक तक की यात्रा तय करती है अर्थात मृत्यु के पश्चात 13 दिनों तक जो मृत आत्मा के नाम से पिंडदान किया जाता है. उसी से आत्मा को मृत्यु लोक से यमलोक तक जाने का बल मिलता है.
गरुड़ पुराण में ये भी बताया गया है कि जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के बीच भटकती रहती है और इसके बाद मृतक की आत्मा मृत्यु लोक से यमलोक के सफर पर निकल पड़ती है, जिसे पूरा करने में उसे 1 साल यानि 12 महीने का वक्त लगता है. मान्यता के अनुसार 13 दिनों तक किया गया पिंडदान इस एक वर्ष मृतक की आत्मा के लिए भोजन के समान होता है.
जिन मृतकों का पिंडदान नहीं किया जाता उनके बारे में भी गरुड़ पुराण में बताया गया है. जिस मृतक आत्मा के नाम से पिंडदान नहीं किया जाता है उसे तेरहवीं के दिन यमदूत जबरदस्ती घसीटते हुए यमलोक लेकर जाते हैं. जिससे मृतात्मा को यात्रा के दौरान काफी कष्ट उठाना पड़ता है. इसलिए हिंदू धर्म में हर मृतकात्मा के निमित्त 13 दिनों तक पिंडदान किया जाना आवश्यक बताया गया है.
इन सबके अलावा गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि तेरहवीं के दिन मृतक के निमित परिजनों के द्वारा किया जाने वाला भोज कर्ज लेकर किया जाए तो मृत आत्मा को शांति नहीं मिलती मृत आत्मा को इन बातों का बड़ा ही कष्ट होता है और मन ही मन सोचता है कि काश में अकेले ही ये कष्टभोगता. जो मृतक के परिजन को कर्ज लेकर भोज करने को मजबूर करता है, ऐसे इंसान को यमराज कभी भी क्षमा नहीं करते और उसकी मृत्यु के बाद उसे कई तरह की यातनाएं देते हैं और फिर उसे वापस मृत्यु लोक में भेज देते हैं.
ऐसा भी बताया गया है कि जो मनुष्य जीवित रहते पुण्य कर्म करता है उसे यमदूत मृत्यु के 13 दिनों बाद अपने साथ यमलोक ले जाते हैं और ऐसी आत्मा को मृत से यमलोक तक जाने वाले मार्ग में किसी भी तरह का कष्ट नहीं झेलना पड़ता. वहीं जो मनुष्य अपने जीवनकाल में बुरे कर्म करता है उसे यमदूत पूरे रास्ते कई तरह की यात्नाएं देते हैं, जिससे वह थर थर कांपने लगता है और यमदूतों से बार-बार क्षमा मांगता है, लेकिन यमदूत उसे क्षमा नहीं करते.
इसके बाद जब पुण्य आत्मा यमलोक पहुंचती है तो यमराज उसे स्वर्गलोक भेज देते हैं, जबकि पापी आत्मा को उसके द्वारा किए गए बुरे कर्मों की सजा भुगतने के लिए नर्क भेजते हैं और सजा पूर्ण होने के बाद वापस ऐसी आत्मा को निम्नयोनी में वापस मृत्यु लोग भेज देते हैं.