लखनऊ/बस्ती, 6 फरवरी। उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती के साथ नए-नए तरीकों से किसानों की आय में वृद्धि के प्रयास कर रही योगी सरकार के मार्गदर्शन में बस्ती जनपद ने बेहद अनूठा प्रयास किया है। राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (एनआरईजीएस) के तहत, बस्ती जिले ने ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही जगह केले की खेती और मछली पालन के लिए तालाबों को विकसित किया है। इन तालाबों में जहां मत्स्य पालन किया जा रहा है तो वहीं इसके चारों ओर बाड़ लगाकर केले के पेड़ भी लगाए गए हैं। पूरे जिले में अब तक ऐसे 1085 केला+मछली तालाबों को विकसित किया गया है। इस महत्वपूर्ण पहल के माध्यम से जिले के ग्रामीणों को आर्थिक सुरक्षा, रोजगार, और आजीविका के नए स्रोत प्राप्त होंगे। यह अनूठी परियोजना एकीकृत खेती के साथ बागवानी और मछलीपालन को एक समन्वित तरीके से समर्थ बनाएगी। इसके अलावा, यह प्रकल्प स्थानीय ग्रामीणों को निरंतर आय का स्त्रोत प्रदान करेगा और साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित करेगा।
14 विकास खंडों में किया गया विकास
बस्ती जिले के डीएम आंद्रा वामसी ने इस पहल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस स्मार्ट पहल के माध्यम से, बस्ती जिले की समृद्धि और समृद्धि को सुनिश्चित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत अब तक पूरे जिले में कुल 1085 तालाबों का निर्माण किया गया है। इस परियोजना के अंतर्गत जिले के 1085 गांवों का संवर्धन किया गया है। यानी 14 विकास खंडों में गांवों में एक केला+मछली तालाब विकसित किया गया है। प्रति तालाब खर्च की गई राशि 1.28 लाख से 6 लाख रुपए के बीच है, जो तालाब के आकार पर निर्भर करती है। उन्होंने बताया कि परियोजना के लिए कुल 1111 तालाबों को चिन्हित किया गया था, जिनमें से 1085 में परियोजना को पूर्ण कर लिया गया है। कुल मिलाकर इन तालाबों में 9761 किग्रा मछलियों का संचयन किया गया है।
प्रति तालाब प्रति वर्ष 1364 किलोग्राम मछली उत्पादन की संभावना
डीएम आंद्रा वामसी के अनुसार, इस परियोजना के दौरान 547129 मानव दिवस सृजित किए गए हैं। इसके माध्यम से कुल 9150 जॉब कार्ड धारकों को रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इन तालाबों की मेड़ पर कुल 42493 केले के पौधे रोपे गए हैं। इनके माध्यम से बड़ी संख्या में केलों का उत्पादन सुनिश्चित होगा। इसके साथ ही, प्रत्येक तालाब से अगले वर्ष 682 किलोग्राम का अपेक्षित मछली उत्पादन होने की उम्मीद है। वहीं, प्रति तालाब प्रति वर्ष 1364 किलोग्राम का अपेक्षित मछली उत्पादन होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण पहल को सफल बनाने में अग्रिम स्तर पर शामिल सभी अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, और स्थानीय निवासियों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। इस प्रकल्प से न केवल आर्थिक विकास होगा, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।