अयोध्या। अयोध्या को दुनिया की सुंदरतम नगरी बनाने के विजन से कार्य कर रही योगी सरकार स्वच्छता के सभी मानकों को अयोध्या में लागू कर पुरातन वैभव युक्त नगरी की दशा-दिशा बदलने के लिए प्रयासरत हैं। इस क्रम में, अयोध्या में अपशिष्ट निस्तारण व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रक्रियाओं के कुशल प्रबंधन की जो कार्यप्रणाली विस्तृत कार्ययोजना के जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में स्वीकृत हुई थी उसे क्रियान्वित कर दिया गया है। अयोध्या नगर निगम द्वारा सीएम योगी की मंशा अनुरूप अयोध्या में 200 टन प्रति दिन (टीपीडी) कैपेसिटी युक्त सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटी की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस क्रम में, अयोध्या नगर निगम द्वारा 7 वर्षों की अवधि के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटी की स्थापना व संचालन एजेंसी व कॉन्ट्रैक्टर्स के माध्यम से किया जाएगा। इस कार्य अवधि को प्रदर्शन के आधार पर 4 वर्षों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है तथा इसके अंतर्गत जीरो वेस्ट डिस्चार्ज पैटर्न के अनुरूप वेट वेस्ट प्रोसेसिंग, ड्राई वेस्ट प्रोसेसिंग व सैनिटरी लैंड फिल जैसी प्रक्रियाओं की पूर्ति के जरिए अपशिष्ट निस्तारण को पूर्ण किया जाएगा।
साइट के भीतर ही लैंडफिल की व्यवस्था को भी करना होगा पूरा
अयोध्या नगर निगम द्वारा तैयार की गई कार्य योजना के अनुसार, गीला कचरा और सूखा कचरा प्रसंस्करण दोनों के लिए अलग-अलग व्यवस्था के साथ स्वच्छ भारत मिशन के मानकों का पालन करते हुए अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसमें साइट के भीतर एक सैनिटरी लैंडफिल स्थापित करना भी शामिल है। इस फैसिलिटी को अयोध्या के पिखरौली में स्थापित किया जाएगा तथा इसमें वेस्ट मैनेजमेंट प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल माध्यम से आवेदन मांगे गए हैं। इस फैसिलिटी की स्थापना को जीरो वेस्ट डिस्चार्ज प्रक्रिया के अनुरूप बनाया जाएगा तथा यहां अपशिष्ट निस्तारण के साथ ही रीसाइक्लिंग की भी प्रक्रिया पर जोर दिया जाएगा।
रीसाइकल्ड प्रोडक्ट्स व बाय प्रोडक्ट्स को लाया जाएगा कमर्शियल यूज में
रीसाइकल्ड वेस्ट प्रोडकट्स व बायप्रोडक्ट्स को विभिन्न प्रकार की सकारात्मक गतिविधियों में इस्तेमाल में लाने की प्रक्रिया की भी पूर्ति पर संयंत्र में जोर दिया जाएगा। इसके अंतर्गत इन प्रोडक्ट्स व बाय प्रोडक्ट्स के कमर्शियल यूज व बिक्री के लिए मार्केट का निर्धारण कर आर्थिक लाभ के अवसरों की तलाश व विकास प्रक्रिया पर भी बल दिया जाएगा। ऐसा इसलिए भी जरूरी होगा क्योंकि ऐसा करने से इन प्रोडक्ट्स व बाय प्रोडक्ट्स को 45 दिनों से अधिक समय तक साइट पर संग्रहीत करने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे में, इन प्रोडक्ट्स व बाय प्रोडक्ट्स की बिक्री से उत्पन्न राजस्व कार्य प्राप्त करने वाली एजेंसी के पास ही आएगा तथा उसे राजस्व सृजन का विवरण व अन्य जानकारियां नियमित अंतराल पर अयोध्या नगर निगम के साथ साझा करना होगा।