लखनऊ, 9 जनवरी: योगी सरकार ने टीबी रोग के खात्मे के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2023 में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। पहली बार प्रदेश के सभी जिलों ने कार्यक्रम के प्रमुख संकेतकों (इंडीकेटर) के लिए निर्धारित 100 अंकों में 80 से अधिक अंक प्राप्त किये हैं, जो यह दर्शाता है कि योगी सरकार वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस उच्च स्कोरिंग प्रदर्शन में रामपुर ने सबसे अधिक 92.8 अंक प्राप्त किए जबकि दूसरे स्थान पर प्रतापगढ़ को 91.6 और तीसरे स्थान पर बिजनौर को 90.9 अंक मिले हैं। प्रदेश का कुल स्कोर 85.3 अंक रहा, जो कि तय मानक से 5.3 अंक अधिक है। यह स्कोर दिसम्बर तक की वार्षिक उपलब्धियों के आधार पर तय किये गए हैं।
टीबी मरीजाें के नोटिफकेशन के लिये तय किये गये थे 20 अंक
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. बृजेश राठौर के अनुसार, योगी सरकार की मॉनीटरिंग और समय-समय पर समीक्षा का ही नतीजा है कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेश ने कीर्तिमान स्थापित किया है। कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर तय किया गया है कि यदि निर्धारित 100 अंकों में जो जिला 80 से अधिक अंक अर्जित कर लेता है, उसके कार्य को बेहतर माना जाएगा।
उसके मुताबिक़ सभी जिलों का प्रदर्शन वर्ष 2023 में बेहतर रहा। इसमें कार्यक्रम के सबसे प्रमुख संकेतक टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन के लिए 20 अंक तय हैं, जिसमें प्रदेश को पूरे अंक मिले। यह साबित करता है कि पूरे साल हर जिलों में टीबी मरीजों की पहचान पर खास फोकस किया गया, क्योंकि जितनी जल्दी मरीजों की पहचान होगी उतनी ही जल्दी इलाज शुरू कर उन्हें स्वस्थ बनाया जा सकेगा। सेंट्रल टीबी डिवीजन ने वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश को 5.50 लाख टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन का लक्ष्य दिया था, जिसके सापेक्ष आगे बढ़कर 6.27 लाख (114%) से अधिक टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया। दूसरे प्रमुख इंडिकेटर ड्रग सेंसिटिव टीबी मरीजों के इलाज की सफलता दर 89 प्रतिशत रही। ड्रग रजिस्टेंस टीबी (डीआरटीबी) के मरीजों के गुणवत्तापूर्ण इलाज की दर 88 प्रतिशत रही।
टीबी के साथ एचआईवी जांच की दर रही 96 प्रतिशत
निदेशक-राष्ट्रीय कार्यक्रम डॉ. सीमा श्रीवास्तव का कहना है कि टीबी के साथ एचआईवी जांच की दर वर्ष 2023 में 96 प्रतिशत रही। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि टीबी के हर मरीज की एचआईवी जांच सुनिश्चित करायी जाये। यूनिवर्सल ड्रग ससेप्टेबिलिटी टेस्टिंग (यूडीएसटी) यानि सीबीनाट या ट्रूनाट मशीन से टीबी की जांच के मामले में भी प्रदेश का प्रदर्शन बेहतर रहा, इसके तहत 86 प्रतिशत उपलब्धि दर्ज हुई, ब्लाक स्तर पर जल्द ही मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराते हुए इसमें और बेहतर प्रदर्शन किया जाएगा। निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों के खाते में इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए तय 10 अंकों में प्रदेश को 7.1 अंक मिले, क्योंकि कुछ मरीज इस योजना के दायरे में नहीं आना चाहते हैं। टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) के मामले में भी अधिकतर जिलों ने सराहनीय प्रयास किया। इसमें पांच साल से कम उम्र के बच्चों को टीपीटी के दायरे में लाने के लिए तय पांच अंकों में प्रदेश को 4.5 अंक तो पीएल एचआईवी के टीपीटी के लिए तय पांच अंकों में 4.4 अंक मिले।
मुरादाबाद मंडल रहा अव्वल
संयुक्त निदेशक (क्षय)/राज्य क्षय नियन्त्रण कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के संकेतकों के तय 100 अंकों में 89.5 अंक हासिल करते हुए मुरादाबाद मंडल प्रदेश में अव्वल रहा। अन्य मंडलों की बात करें तो प्रयागराज को 89.1, अलीगढ़ को 88.6, बरेली को 87, चित्रकूट को 87.5, सहारनपुर को 87.5, वाराणसी को 87.7, गोरखपुर को 87.9, आजमगढ़ को 87, मेरठ को 86.7, अयोध्या को 86.8, झाँसी को 86.8, देवीपाटन को 85.4, मिर्जापुर को 85.4, लखनऊ को 84.7, आगरा को 85.5, बस्ती को 84.2 और कानपुर मंडल को 84.2 अंक प्राप्त हुए।
उपब्लधि एक नजर में
- संकेतक (इंडीकेटर) उपलब्धि प्रतिशत में
- टीबी नोटिफिकेशन 114
- सक्सेज रेट-ड्रग सेंसिटिव टीबी 89
- डीआरटीबी ट्रीटमेंट 88
- टीबी-एचआईवी टेस्ट 96
- यूडीएसटी 86
- निक्षय पोषण योजना 71
- पाँच साल से कम उम्र
- के बच्चों का टीपीटी 90
- टीपीटी-पीएलएचआईवी 88