महाकालेश्वर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले

उज्जैन। श्रावण-भाद्रपद माह की तरह श्री महाकालेश्वर भगवान की कार्तिक-अगहन माह की दूसरी सवारी सोमवार को सभामंडप में विधिवत पूजन-अर्चन के बाद राजसी ठाट-बाट के साथ निकली।भगवान श्री महाकालेश्वर श्री मनमहेश के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले।

श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी पुलिस बैण्ड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार कहारवाडी होते हुए रामघाट क्षिप्रातट पहुंची। वहां मां क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन के पश्चात भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची।

मराठा के समय की परंपरा का आज भी प्रभाव

महाकाल मंदिर में मराठा परंपरा का विशेष तौर पर प्रभाव है। महाराष्ट्रीय परंपरा में शुक्ल पक्ष से माह का शुभारंभ माना जाता है। कार्तिक-अगहन मास में भी महाकाल की सवारी कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से शुरू होती है। इसी वजह से इस बार 20 नवंबर से सवारी निकालने की शुरुआत हुई। इसी क्रम में श्री महाकालेश्वर भगवान की कार्तिक एवं अगहन (मार्गशीर्ष) माह में निकलने वाली श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारियां क्रमशः तृतीय सवारी 04 दिसम्बर को तथा शाही सवारी 11 दिसम्बर को निकाली जाएगी।

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