अयोध्या को योगी सरकार की सौगात, तीर्थ विकास परिषद का गठन, मंदिर म्यूजियम और अयोध्या अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान को मिली मंजूरी

लखनऊ। दीपोत्सव से पहले भगवान राम की नगरी अयोध्या गुरुवार को एक और ऐतिहासिक पल की गवाह बनी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पहली बार अयोध्या में कैबिनेट बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें 14 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी। सबसे खास बात ये रही कि स्वयं सीएम योगी ने कैबिनेट से पास प्रस्तावों के बारे में जानकारी दी। कैबिनेट में पास प्रस्तावों के केंद्र में अयोध्या ही रही, जहां अयोध्या धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन के साथ ही यहां 25 एकड़ भूमि में मंदिर म्यूजियम बनाने, अयोध्या शोध संस्थान को अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान का दर्जा देने के साथ ही विभिन्न मेलों को राजकीय मेलों का दर्जा दिए जाने संबंधी प्रस्तावों पर मुहर लगी। इस अवसर पर सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या के समग्र विकास के लिए पहले से ही केंद्र और राज्य के सहयोग से 178 परियोजनाएं चल रही हैं, जिसके अंतर्गत 30 हजार 500 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जा रही है। अयोध्या एक नए युग की ओर जा रही है। पूरी दुनिया आज अयोध्या की तरफ आकर्षित हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्रिपरिषद ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

एक्सपोर्ट का हब बनेगा उत्तर प्रदेश

श्रीराम संग्रहालय में कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद सीएम योगी ने पास हुए प्रस्तावों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सबसे पहला प्रस्ताव उत्तर प्रदेश में पहली बार अंतर्देशीय राजमार्ग प्राधिकरण के गठन का था, जिसे मंजूरी दी गई है। उत्तर प्रदेश के बारे में ये कहा जाता था कि यह एक लैंड लॉक प्रदेश है। दुनिया के उन देशों ने प्रगति की जिनके पास जलमार्ग है। देश के अंदर भी वो राज्य आगे बढ़ रहे थे जिनके पास जलमार्ग था जो एक्सपोर्ट की सुविधा प्रदान करते थे। हम सब आभारी हैं प्रधानमंत्री मोदी के जिन्होंने देश का पहला इनलैंड वाटरवे वाराणसी से हल्दिया के बीच शुरू किया। इनलैंड वाटरवे अथॉरिटी उत्तर प्रदेश में जल यातायात को बढ़ावा देने में मदद करेगी। इसके माध्यम से वाटर स्पोर्ट्स की एक्टिविटीज को भी तेजी से आगे बढ़ाने, पर्यटन की सुविधाओं में बढ़ोतरी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को एक्सपोर्ट के एक हब के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी। अयोध्या इस दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कहते हैं कि 2000 वर्ष पहले अयोध्या की राजकुमारी जलमार्ग से साउथ कोरिया गई थीं और वहां के राजकुमार से विवाहबंधन में बंधकर वहां के महत्वपूर्ण राजवंश का हिस्सा बनी थीं। यूपी में 12 के लगभग नदियां ऐसी हैं जो जल यातायात के लिए बहुत मायने रखती हैं। जैसे गंगा, यमुना, सरयू, राप्ती, गोमती, इन सभी नदियों में ये सुविधाएं विकसित की जा सकती हैं। इसलिए ये अथॉरिटी भारत सरकार के साथ मिलकर कार्य करेगी और उत्तर प्रदेश को अपने परंपरागत उत्पादों को दुनिया के मार्केट में पहुंचाने के लिए सुविधा विकसित होगी।

अयोध्या, देवीपाटन और शुक्रतीर्थ विकास परिषद के गठन को भी मंजूरी

सीएम ने योगी ने कहा कि अयोध्या में भव्य मंदिर बनने के बाद श्रद्धालु और भक्तों की जो बड़ी संख्या यहां आने वाली है उसको ध्यान में रखते हुए यहां पर श्री अयोध्या धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन का प्रस्ताव भी पारित किया गया है। यहां के पर्व, यहां के त्योहार और यहां की व्यवस्थाओं को अच्छे ढंग से पूर्ण करने के लिए स्थानीय स्तर पर, राज्य स्तर पर और केंद्र सरकार के सहयोग से और अन्य धर्मार्थ संस्थाओं के साथ मिलकर इनको आगे बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही मां पाटेश्वरी धाम देवीपाटन तीर्थ विकास परिषद के गठन की प्रक्रिया के प्रस्ताव को भी यहां पास किया है। यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ है, जहां नेपाल से जुड़े हुए श्रद्धालु नवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में यहां विशेष रूप से आते हैं। इसके अलावा शुक्रतीर्थ विकास परिषद के प्रस्ताव को भी पारित किया गया है। हम सब जानते हैं कि मुजफ्फरनगर जनपद में स्थित इस तीर्थ में राजा परीक्षित ने सबसे पहले श्रीमदभागवत महापुराण की कथा सुनी थी, जिसके कारण उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ था। हमारी सरकार ने वहां पर गंगा की धारा को लाने में सफलता प्राप्त की है और अब हम इसे तीर्थ विकास परिषद के माध्यम से आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

अयोध्या में मंदिर म्यूजियम के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान का विस्तार

सीएम योगी ने बताया कि अयोध्या के माझा जमथरा में 25 एकड़ भूमि को मंदिर म्यूजियम के लिए देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। सीएम योगी ने कहा कि जो लोग अयोध्या धाम में दर्शन के लिए आएंगे वहां वो दर्शन के साथ-साथ भारत के वास्तु के बारे में भी जान सकेंगे। अलग-अलग कालखंड में किस-किस प्रकार के मंदिर बने,उन सभी मंदिरों के इतिहास को हम मंदिर म्यूजियम के माध्यम से सबके सामने रख सकें, इसके लिए इस प्रस्ताव को पास किया गया है। इसके साथ ही, अयोध्या में अयोध्या शोध संस्थान को विस्तार देते हुए अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान का दर्जा दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इसमें भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों में जो रामायण कथा प्रचलित है, वैदिक ज्ञान की परंपरा समेत इन सभी चीजों को जोड़ते हुए एक विस्तृत अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान की स्थापना की जाएगी।

दीपोत्सव और देव दीपावली को राजकीय मेले का दर्जा

सीएम योगी ने बताया कि कैबिनेट ने प्रदेश में होने वाले विभिन्न मेलों के प्रांतीयकरण के प्रस्ताव को भी पारित किया है। हाथरस में दाउजी महाराज की स्मृति में होने वाले ब्रज की द्वार देहरी लक्खी मेले को राजकीय मेले का दर्जा देने का निर्णय लिया गया है। इसके अतिरिक्त अयोध्या में जितने भी मेले लगेंगे चाहे वो कार्तिक पूर्णिमा का मेला हो, रामनवमी, दीपोत्सव या मकर संक्रांति और वसंत पंचमी का मेला हो, इन सभी को राजकीय मेले का दर्जा दिया गया है, ताकि आने वाले समय में इनके आयोजन में धन की कमी न होने पाए। इसके अलावा बुलंदशहर के अनूपशहर में होने वाले कार्तिक पूर्णिमा मेले, काशी में देव दीपावली के कार्यक्रम को भी राजकीय मेले का दर्जा दिया गया है। महराजगंज जिला स्थित सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग में ईको टूरिज्म को बढ़ाने के लिए पर्यटकों को बुनियादी सुविधाएं देने का निर्णय लिया गया है।

ड्रोन पॉलिसी को भी दी गई मंजूरी

कैबिनेट ने ड्रोन पॉलिसी को भी मंजूरी दी है। सीएम योगी ने कहा कि ड्रोन आज बहुत उपयोगी हो चुका है। फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी के साथ-साथ एग्रीकल्चर और सिक्योरिटी के क्षेत्र में इसका उपयोग हो रहा है। इसके दुरुपयोग की भी आशंका है, इसलिए राज्य सरकार ने भारत सरकार के सिविल एविएशन एक्ट के अंतर्गत इस पॉलिसी के लिए राज्य स्तर पर एक नियमावली लागू कर रहे हैं। नियमावली के तहत ड्रोन की गतिविधियों को थाना स्तर से भी निगरानी की जा सकेगी कि वहां कितने ड्रोन मौजूद हैं, किस तरह के उपयोग के लिए हैं। राज्य के अंदर भी भी रेड, ग्रीन और येलो जोन निर्धारित करने के लिए भी कार्यवाही की जाएगी। रेड जोन नो फ्लाई जोन होते हैं,जहां कोई गतिविधि संचालित नहीं हो सकती। येलो जोन में प्रशासन तय कर सकता है कि यहां पर किस तरह की गतिविधि हो और किस तरह की नहीं। इसी तरह ग्रीन जोन में शेष गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं।

शीतकालीन सत्र 28 नवंबर से

सीएम योगी ने आगामी शीतकालीन सत्र बुलाने के निर्णय की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शीतकालीन सत्र 28 नवंबर से प्रारंभ होगा। यह लगभग एक सप्ताह का हो सकता है। इसमें सरकार की सप्लीमेंट्री डिमांड्स आएंगी, जबकि कई विधायी कार्य भी संपन्न कराए जाएंगे।

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