लखनऊ, 5 नवंबर: योगी सरकार ने पिछले 6 वर्षों में कुपोषण पर करारा प्रहार किया है। सरकार की विभिन्न परियोजनाएं और सतत मॉनिटरिंग का ही असर है कि प्रदेश में एनीमिया, बौनापन, अल्प वजन और सूखापन में सुधार दर्ज किया गया है। इसके लिए योगी सरकार द्वारा प्रदेश भर में 897 परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसे बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के तहत 1,89,021 आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। वर्तमान में कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए 2 करोड़ से अधिक लाभार्थी याेगी सरकार की पोषण से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं का लाभ उठा रहे हैं।
प्रदेश से कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए बनाएं प्रभावी मैकेनिज्म
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक उच्च स्तरीय बैठक में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार की पहल से प्रदेश में कुपोषण में सुधार दर्ज किया गया है। वर्तमान में प्रदेश भर में 2,08,42,924 लाभार्थी पोषण संबंधी विभिन्न परियोजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। इनमें गर्भवती महिला, धात्री माताएं, 6 माह से 3 वर्ष के बच्चे, 3 से 6 वर्ष के बच्चे, सैम बच्चे और आकांक्षात्मक जनपदों की किशोर बालिकाएं शामिल हैं। इनमें 19,83,943 गर्भवती महिलाएं, 9,21,081 धात्री माता, 6 माह से 3 वर्ष के 95,67,341 बच्चों, 3 वर्ष से 6 वर्ष के 79,37,870 बच्चों, 1,86,044 सैम बच्चों और आकांक्षात्मक जनपद की 2,46,645 किशोर बालिकाओं तक सीधे लाभ पहुंचाया जा रहा है। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को प्रदेश से कुपोषण को शत-प्रतिशत खत्म करने के लिए कार्ययोजना बनाकर अभियान चलाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पोषण अभियान स्वस्थ और एक समर्थ भारत की नींव है। ऐसे में इसके लिए एक प्रभावी मैकेनिज्म बनाकर इस पर युद्धस्तर पर काम किया जाए।
प्रदेश के बच्चों में अल्प वजन की शिकायत में 7.4 प्रतिशत की कमी
बैठक के दौरान विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे (एनएचएफएस-5) का हवाल देते हुए बताया कि प्रदेश में वर्ष 2015-2016 के सापेक्ष वर्ष 2019-2020 में एनीमिया, बौनापन, अल्प वजन और सूखापन में सुधार दर्ज किया गया है। वर्ष 2015-16 में प्रदेश की 51 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की शिकायत थी जबकि वर्ष 2019-21 में इसमें 5.1 प्रतिशत का सुधार हुआ है। अब यह घटकर 45.9 प्रतिशत रह गई है। इसी तरह वर्ष 2015-16 में प्रदेश के 46.3 प्रतिशत बच्चों में बौनापन की शिकायत थी, जबकि वर्ष 2019-21 में इसमें 6.6 प्रतिशत का सुधार हुआ है। यह घटकर 39.7 प्रतिशत रह गया है। वहीं वर्ष 2015-16 में प्रदेश के 39.5 प्रतिशत बच्चों में अल्पवजन की शिकायत थी, जबकि वर्ष 2019-21 में इसमें 7.4 प्रतिशत का सुधार हुआ है। यह घटकर 32.1 प्रतिशत रह गया है। इसी तरह वर्ष 2015-16 में प्रदेश के 17.9 प्रतिशत बच्चों में सूखापन की शिकायत थी, जबकि वर्ष 2019-21 में इसमें 0.6 प्रतिशत का सुधार हुआ है। यह घटकर 17.3 प्रतिशत रह गया है। इसके साथ ही पिछले 6 वर्षों में उत्तर प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर में भी काफी गिरावट दर्ज की गई है। इसकी वजह प्रदेश में सरकार की विभिन्न परियोनाओं के जरिये माताओं और शिशुओं को पोषण आहार मिलना है।