स्वामी लक्ष्मणदास महाराज की श्रीमद्भागवत कथा में हुआ बृज की फूलो वाली होली महोत्सव, श्री महालक्ष्मी यज्ञ को पूर्ण आहुति कल

लखनऊ : कृष्ण कृपा मिशन की तत्वावधान में लखनऊ उत्तर प्रदेश में आयोजित समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली श्रीमद्भागवत कथा एवं श्री महालक्ष्मी यज्ञ के आठवें दिन परम पूज्य प्रेम मूर्ति पूज्यपाद सदगुरुदेव संत स्वामी लक्ष्मणदास महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा मित्रता में अमीरी और गरीबों को कभी मत देखिए वहां मित्र भाव के साथ सामने के अंत:करण को पहचानिए, क्योंकि सच्चा मित्र आपको हमेशा धर्म सत्संग अध्यात्म की और ही ले चलेगा।

शास्त्रों में कहा गया है मित्र वही है जो हमें सन्मार्ग पर ले चले जिसका संबंध में विशुद्ध हो किसी विषय वस्तु से संबंधित नहीं, परंतु वर्तमान में देखिए समाज में मित्रता का मतलब ही अब स्वार्थ रह गया है यानी किसी न किसी वजह से लोग मित्रता कर रहे हैं और वह मित्रता क्षणिक होती है जैसे ही कार्य पूरा हुआ मित्रता का संबंध टूटा लोग अब बराबरी में मित्रता करते हैं। परंतु आप कल्पना करिए वह कालखंड जब भगवान श्री कृष्ण द्वारिकाधीश थे और सुदामा सामान्य गरीब ब्राह्मण परंतु द्वारिकापुरी में आए दौड़ते हुए गले लगा कर सुदामा जी का स्वागत किया, संपूर्ण द्वारिका वासी अचंभित थे..ऐसा कौन आ गया जिसके लिए भगवान श्रीकृष्ण स्वयं नंगे पांव दौड़ रहे हैं।

ब्रह्मा इंद्र सभी देवी देवताओं को जहां प्रतीक्षा करना पड़ता है वही भगवान श्री कृष्ण एक सामान्य से ब्राह्मण के लिए दौड़ रहे हैं, परंतु जब द्वारिका वासी को पता चला वह मित्र है सभी लोग अपने आप में गौरवान्वित महसूस कर रहे थे कि भगवान श्रीकृष्ण वास्तव में करुणा के सागर हैं, जो गरीबी अमीरी ऊंचा नीचा कुछ नहीं देखते, आजकल लोगों के मन में कई प्रकार की गलतफहमीया रहती हैं, कि सुदामा दरिद्र थे। जबकि ऐसा कहीं शास्त्रों में नहीं लिखा गया है। हर जगह यही संकेत है भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र श्री सुदामा जी ब्राह्मणों में भी सर्वोत्तम और सर्वश्रेष्ठ बहुत संतुष्टि थी उनमें, इसके साथ-साथ कथा के विश्राम में आज वृंदावन की भव्य फूल होली का उत्सव मनाया गया। आज विश्राम दिवस की आरती में सभी भक्तों की आंखें नम थी, सभी भक्तों ने बताया कि 8 दिन की कथा कैसे व्यतीत हो गई पता ही नहीं चला।

आज भागवत कथा का समापन हुआ। रविवार के दिन समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला श्री महालक्ष्मी यज्ञ को पूर्ण आहुति के बाद भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

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