श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित होना है, तो विशुद्ध प्रेम करिए क्योंकि भागवत कथा प्रेम भाव की कथा: स्वामी लक्ष्मणदास महाराज

कृष्ण कृपा मिशन के तत्वावधान में लखनउ उत्तर प्रदेश में आयोजित भागवत कथा के सप्तम दिन पूज्य स्वामी लक्ष्मणदास महाराज ने सभी श्रोताओं को बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित होना है, तो विशुद्ध प्रेम करिए क्योंकि भागवत कथा प्रेम भाव की कथा है।

श्रीमद् भागवत जी को कल्पवृक्ष कहा गया है कल्पवृक्ष का मतलब होता है किसी भी एक कामना से अगर वहां आराधना किया जाए तो वह कामना अवश्य पूर्ण होती है कल्पवृक्ष या तो देवलोक में इंद्र के पास है या फिर इस कलयुग में हरि भक्तों के पास, भागवत विद्या भी प्रदान करती है, भागवत ऐश्वर्य भी प्रदान करती है यहां तक की भागवत श्री यानी लक्ष्मी भी प्रदान करती है, जीवन में जब कुछ समझ में ना आए तो भागवत जी का आश्रय लें निश्चित ही आपको परमात्मा अपने श्री चरणों में भक्ति प्रदान कर आपके जीवन के सारे कष्टों को हारेंगे, साथ ही आज भागवत कथा में रुक्मणी विवाह का भी कार्यक्रम संपन्न हुआ

रुक्मणि विवाह प्रसंग को सुनने व स्वामी जी का आर्शीवाद लेने पूर्व विधान परिषद सदस्य अरविंद त्रिपाठी उर्फ गुड्डू त्रिपाठी और अपर्णा बिष्ट यादव पधारी। कृष्ण भक्ति में भाव विभोर अपर्णा ने यहां मंच से भजन सुनाया।

स्वामी जी ने बताया भगवती रुकमणी जो समृद्धि, शांति,सौभाग्य प्रदान करती हैं। जिन भी कुमारी कन्याओं का विवाह ना हो रहा हो अगर वह रुकमणी मंगल की कथा को श्रवण करती हैं.. तो उन्हें सुयोग्य वर प्राप्त होते हैं। रुकमणी जी साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप है इसलिए भगवान श्री रुकमणी-कृष्ण जी के कन्यादान का विशेष महत्व है.. इसी भाव को ध्यान रखते हुए। बहुत बड़ी संख्या मौजूद भक्तों ने उत्साह के साथ कन्यादान में भाग लिया।

भागवत कथा के सातवें दिन स्वामी लक्ष्मणदास महाराज के द्वारा कही जा रही भागवत में रुक्मणि विवाह प्रसंग को सुनने व स्वामी जी का आर्शीवाद लेने पूर्व विधान परिषद सदस्य अरविंद त्रिपाठी उर्फ गुड्डू त्रिपाठी और अपर्णा बिष्ट यादव पधारी। कृष्ण भक्ति में भाव विभोर अपर्णा ने यहां मंच से भजन सुनाया। स्वामी जी ने उनको अंगवस्त्र के साथ तुलसी का पौधा भेंट किया।

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