भारत संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था में तीन साल के लिए शुक्रवार को चुना गया. उसका कार्यकाल पहली जनवरी, 2019 से शुरू होगा. उसे एशिया-प्रशांत श्रेणी में 188 वोट मिले हैं. सभी उम्मीदवारों में उसे सबसे अधिक वोट प्राप्त हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने यहां संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के नए सदस्यों के लिए चुनाव किया. गुप्त मतदान के जरिए कुल 18 नए सदस्य पूर्ण बहुमत से चुने गए हैं. देशों को परिषद में निर्वाचित होने के लिए कम से कम 97 वोटों की जरूरत होती है.भारत एशिया प्रशांत श्रेणी में एक सीट के लिए प्रयासरत था. भारत के साथ बहरीन, बांग्लादेश, फिजी और फिलीपिन भी ने इसी श्रेणी से सदस्यता के लिए दावा किया था. यह देखते हुए कि एशिया प्रशांत श्रेणी से पांच सीटों के लिए पांच देश चुनाव मैदान में हैं, भारत का निर्वाचन करीब-करीब पक्का था. भारत की इस कामयाबी पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर बधाई दी है.
नए निर्वाचित सदस्य देशों का कार्यकाल 3 साल का होगा. इन सभी देशों का कार्यकाल 1 जनवरी 2019 से शुरू होगा. भारत इससे पहले मानवाधिकार परिषद के लिए 2011 से लेकर 2014 तक और इसके बाद 2014 से लेकर 2017 के लिए चुना जा चुका है. इस परिषद में भारत का पिछला कार्यकाल 31 दिसंबर 2017 को खत्म हुआ था. अगर नियमों के हिसाब से देखें तो भारत उसी सीट के लिए नहीं चुना जा सकता था. वह इस सीट के लिए लगातार 2 बार चुना जा चुका था.
इस निर्वाचन के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि सर्वाधिक मतों से भारत की जीत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की साख को परिलक्षित करती है. उन्होंने भारत के पक्ष में मतदान करने वालों को धन्यवाद दिया.
2006 में हुआ था मानवाधिकार परिषद का गठन
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का गठन 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने किया था. इसका मुख्य उद्देश्य मानवाधिकार के मुद्दों से निपटना था. इस परिषद में 47 सदस्य होते हैं. ह्यूमन राइट काउंसिल की सीटों को 5 क्षेत्रीय समूहों में बांटा गया है.