रोहतक/लखनऊ, 12 अक्टूबर। सनातन धर्म विश्व में शांति की गारंटी है। एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति का बोध वाक्य ही सनातन धर्म का सत्य है। सभी मत, पंथ, उपसना विधि, संप्रदाय से जुड़े संतजन उसी सत्य की उपासना के लिए और उसकी पुनर्प्रतिष्ठा के लिए अपने आप को समर्पित किये हुए हैं। भारत की संत शक्ति कभी पलायन का रास्ता नहीं अपनाती। वो हर चुनौती से जूझने का जज्बा रखती है और इसका उद्देश्य केवल लोक कल्याण है। गांव गांव में जनजागरण कर रहे हमारे संतगण आज एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प को ही सिद्ध कर रहे हैं। ये बातें गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा मस्तनाथ मठ द्वारा ब्रह्मलीन महंत श्री चांदनाथ जी योगी के स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर रोहतक में कही।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, योगगुरु स्वामी रामदेव, स्वामी चिदानंद महाराज और बाबा मस्तनाथ मठ के महंत बाबा बालकनाथ सहित देशभर से आए हजारों की संख्या में संतों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नाथ संप्रदाय भारत की सनातन परंपरा का वाहक है। सनातन धर्म एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति के बोध वाक्य का सत्य है। उस सत्य तक पहुंचने के लिए हमारे पंथ, उपसना विधि, संप्रदाय, मत अपने आप को समर्पित किये हुए हैं। रास्ते अलग अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक है और ये मंजिल है सत्य सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के कार्य को एकजुट होकर पूरी मजबूती के साथ स्थापित करना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। जिन्हें सनातन पर विश्वास नहीं था वो श्रीराम मंदिर के नाम से ही भागते थे। मगर जिन्हें सनातन धर्म पर विश्वास था उन्हें अपने कर्म पर विश्वास था। जो लोगों के लिए असंभव था आज नये भारत ने उसे संभव बना दिया है। पूरी दुनिया में वर्तमान में संघर्ष चल रहा है, मगर विश्व शांति की गारंटी केवल सनातन धर्म और भारत ही है। दुनिया में संकट के समय हर देश, हर धर्मावलम्बी और हर पीड़ित भारत की ओर आशा की नजरों से देख रहा है। उसे भरोसा है कि भारत उसकी आस और विश्वास बनेगा। आज का ये समारोह उसी अभियान को मजबूती प्रदान करता है। ये नाथ संप्रदाय के पवित्र संतों की साधना स्थली है। आज बाबा चांदनाथ जी के संकल्पों को महंत बालकनाथ योगी तत्परता और दूरदर्शिता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं, जो अभिनंदनीय और सराहनीय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी सभी प्रकार के मौलिक अधिकारों के साथ जी रही है। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक आज भी भारत पूरी मजबूती के साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत के रूप में अपने आप को स्थापित कर रहा है, तो उसके पीछे गांव गांव में जनजागरण कर रहे हमारे पूज्य संतजन हैं, जो अपने ईष्ट की अराधना के साथ ही सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। चाहे राममंदिर आंदोलन हो या कोई अन्य जनआंदोलन, संतों ने हमेशा एक आह्वान पर उसमें बढ़चढ़ कर भाग लिया। आज इस समारोह में उपस्थित देशभर से आये हजारों संतगण इस बात को प्रदर्शित करते हैं कि यहां न जाति का भेद है और न ही मत और पंथ का। जो बोलते हैं कि भारत अनेक मत और उपासना विधियों का देश है उन्हें यहां मौजूद सभी धाराओं के संतजनों की एकता को देखना चाहिए।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत, स्वामी रामदेव, चिन्ना जियर स्वामी, स्वामी चिदानंद महाराज, स्वामी निर्मलानंद जी महाराज, स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, बाबा बालकनाथ जी महाराज, हरिचेतनानंद जी महाराज, ब्रह्मदेव जी महाराज, डॉ चिन्मय पांड्या, आचार्य लोकेश मुनि, नाथ संप्रदाय के नरहरिनाथ, महंत शेरनाथ, केंद्रीय मंत्री डॉ वीके सिंह, रामलाल सहित बड़ी संख्या में योगेश्वरगण और षड्दर्शन से जुड़े संतजन मौजूद रहे।