जातीय जनगणना कॉन्ग्रेस की प्राथमिकता

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में देश की सबसे बड़ी आबादी निवास करती है,उत्तर प्रदेश की आबादी लगभग 23 करोड़ है। अभी पिछले दिनों 13 करोड़ आबादी वाले देश के एक राज्य बिहार ने जातीय जनगणना कराकर उसके आंकड़े सार्वजनिक किए है। देश में हजारो जातियां एवं उपजातिया है, जाति एक ऐसी सच्चाई है जिसे झुठलाना और उसे खारिज करना हमारे विविधता से भरी विरासत को चुनौती देना है।समाजिक न्याय की अवधारणा को सही रूप में तभी स्वीकार किया जा सकता है जब हमारे पास समाज के हर तबके के आंकड़ा हो।  ज्ञात हो कि सर्वप्रथम जाति आधारित गणना 1931 में ब्रिटिश शासन ने कराया, तब देश की आबादी लगभग 20 करोड़ थी।  लगभग 80 साल बाद आजाद भारत में 2011 में कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार ने जातीय आधारित जनगणना कराई लेकिन NDA सरकार के द्वारा उनके आकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया।

हमें जातीय जनगणना को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए जिससे सामाजिक आबादी के बारे में लोगों की जानकारी लेना देना, उसको समझाना एवं यह पता लगाना है कि लोगों की पहुँच का स्तर क्या है? यह न केवल सामाजिक विज्ञानियों के लिये बल्कि सरकार के नीति निर्माताओं के लिये भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। जातीय जनगणना राज्य सरकार के लिए ठोस पैमाना होगा जिससे राज्य की योजनाएं किन जाति समूहो के दरवाजे तक पहुंच रही है? किन जाति समूहों को इनकी जरूरत है? किन्हें मिलनी चाहिए? इन सारे क्रांतिकारी बदलाव, सटीक आकड़ो के बगैर संभव नहीं है।

भारत के विविधता वाले समाज में जाति आधारित जनगणना एक प्रशासनिक आवश्यकता भी है। जब तक जातियों का आंकड़ा सामने नही आएगा तब तक कैसे तय होगा कि प्रदेश की प्रगति मे किसकी कितनी भागीदारी होनी चाहिए? अतीत में किसी संसाधन का उपयोग कैसे किया गया है? सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों में किसको कितनी भागीदारी मिले?  जाति जनगणना से नीति निर्माताओं को यह समझने में मदद मिलेगी कि संसाधनों का सभी में न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित हो । बिहार सरकार ने जाति जनगणना कराकर पूरे देश को एक रास्ता दिखाया है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी जी लगातार सरकार से जाति-जनगणना की मांग कर रहे है यह इतिहास में दर्ज होने का वक्त है।  देश के आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यको, पिछड़ो तथा शोषित एवं वंचित वर्गों के साथ न्याय करने का दौर है।

अतः माननीय महामहिम जी आपसे अनुरोध है कि उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित कर जातिगत जनगणना कराई जाए जिससे शोषित-वंचित समाज के लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए न्यायपूर्ण योजनाएं बनाई जा सकेंगी।

जातिगत जनगणना को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी के तत्वाधान में कांग्रेस का “हल्लाबोल”

प्रदर्शन के दौरान: जिला अध्यक्ष जिला अध्यक्ष गंगापार सुरेश यादव, मुकुंद तिवारी, विवेकानंद पाठक, संजय तिवारी, फुजैल हाश्मी, किशोर वार्ष्णेय, हसीब अहमद, जिला उपाध्यक्ष रईस अहमद मनोज पासी, युवा नेता नदीम अहमद अरशद अली, लल्लू प्रसाद मास्टर, राकेश पटेल, बलवंत सिंह राव, जितेश मिश्रा, अक्षय यादव, मनोज सिंह पटेल एडवोकेट संतोष सिंह विक्रम सिंह पटेल रोहित कुशवाहा, मो० हसीन, विजय यादव, एहतेशाम अहमद, नरेन्द्र आदिवासी, संदीप पाण्डेय, ओमप्रकाश बिंद, सुनील यादव, अरशद अली अर्शी, भानु प्रकाश कुशवाहा, सुनील पाण्डेय, सहजादुल हक़, एल एस सिंह, नफीस अहमद, उमेश केसरवानी,ए के पांडेय विकास चौरसिया, अनिल कुमार कुशवाहा, तबरेज़ अहमद, एस पी साहू, महफूज़ अहमद, मो० कलीम, रंजीत गुप्ता, बृजेश निषाद, मुस्तकीम अहमद, नियाज कुरैशी, दिनेश भारतीय, बजरंग लाल दुबे, संतोष कुमार दूबे ,छोटे लाल पटेल ,सर्वेश सिंह यादव शिवम कुशवाहा, आदित्य सिंह , राजू यादव भागीरथी पटेल सहित समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहें।

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