लख़नऊ : 2015 में गणेश प्रतिमा विसर्जन की मांग कर रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द पर हुए बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज के विरोध में 5 अक्टूबर, 2015 को निकाली गयी ‘अन्याय प्रतिकार यात्रा’ में नामजद 82 लोगों में से उ0प्र0 शासन द्वारा 81 लोगों के खिलाफ हुए मुकदमे को वापस लिया गया, जिसका संदर्भ लेते हुए अपर सत्र न्यायाधीश वाराणसी (एम.पी./एम.एल.ए. कोर्ट) ने उन 81 लोगों को बरी कर दिया।
उन 82 लोगों में से सिर्फ एक व्यक्ति वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व मंत्री अजय राय के खिलाफ हुए मुकदमें को वापस नहीं लिया गया।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सी0पी0 राय ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ही घटना और एक ही मुकदमे में दो तरह के फैसले कैसे लिये जा सकते हैं?
सी0पी0 राय ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की बढ़ती लोकप्रियता और जनता का मिल रहा अपार समर्थन कहीं न कहीं इस सरकार में हताशा पैदा कर रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह पूरी तरह से पूर्वाग्रही और अविवेकपूर्ण कार्य है।
राय ने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने नैतिकता के खिलाफ जाकर अपने कई मुकदमे एवं अपने उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मुकदमे वापस लिये। इसी मुकदमे में इनकी सरकार के मंत्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालू’ भी आरोपित थे, मगर उनका भी मुकदमा वापस लिया। पूरे प्रदेश में भाजपाइयों के 20 हजार से ज्यादा मुकदमे वापस लिये गये। मगर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की बढ़ती लोकप्रियता से घबराये मुख्यमंत्री एक जायज मुकदमा वापस लेने को तैयार नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि अविलम्ब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ दायर इस मुकदमे को वापस लिया जाये।