3 अगस्त, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को लोकभवन में न्याय विभाग की समीक्षा की और प्रस्तुतिकरण का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में सरकारी विभागों के लंबित मामलों का शीघ्र निस्तारण अति आवश्यक है। इससे विभागों के कार्य प्रभावित होते हैं। इसके दृष्टिगत शासकीय अधिवक्ताओं के अतिरिक्त विशेषज्ञ अधिवक्ताओं का पैनल बनाएं और न्यायालयों में प्रभावी पैरवी के लिए उन्हें नियुक्त करें। इन अधिवक्ताओं की एक फीस भी निर्धारित करें।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आम जन की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए 10 जिलों महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट में एकीकृत न्यायालय परिसरों का विकास किया जा रहा है। इनमें से जिन जनपदों में भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है उनके भवन के निर्माण का कार्य शीघ्र प्रारंभ करें। साथ ही जिन जनपदों में अभी भूमि का अधिग्रहण नहीं हुआ है, वहां भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही में तेजी लाएं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अधिवक्ता कल्याण निधि के लिए बने ₹220 करोड़ के कॉर्पस फंड को बढ़ाकर ₹500 करोड़ किया जाए। यह फंड असामयिक मृत्यु होने वाले अधिवक्ताओं के परिजनों के लिए आर्थिक संबल बनेगा। उन्होंने कहा कि सभी न्यायालयों में पार्किंग की समुचित व्यवस्था करें। साथ ही न्यायालयों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखें। ई कोर्ट की परिकल्पना को साकार करने के लिए न्यायालयों के डिजिटाइजेशन के कार्य में तेजी लाएं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सुदृढ़ न्याय व्यवस्था सुशासन का आधार है। इसके दृष्टिगत ग्राम न्यायालयों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आमजन को सस्ता, सरल,सुलभ और त्वरित न्याय तहसील स्तर पर ही मिले यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि नोटरी अधिवक्ताओं की नियुक्ति एवं उनके प्रमाण पत्रों के नवीनीकरण के लिए इसी वर्ष जनवरी माह में HTTP://UPNOMS.UP.GOV.IN ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च हुआ था। इसके माध्यम से नोटरी के नवसृजित 2500 पदों के लिए काफी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं। मेरिट को आधार बनाते हुए पूरी पारदर्शिता के साथ नोटरी अधिवक्ताओं की नियुक्ति की कार्यवाही को तेजी के साथ आगे बढ़ाएं।